Friday, February 21, 2020

273..ओस थे घास पर और नमी आंखों की शब्द शब्द पिघले

सादर अभिवादन....
आज 21 फरवरी
एक खास दिन

अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना। 'मातृभाषा दिवस' २१ फ़रवरी को मनाया जाता है। १७ नवंबर, १९९९ को यूनेस्को ने इसे स्वीकृति दी। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषाई एवँ सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले।
...
आज महाशिवरात्रि है
सभी भक्तों का मनोकामना पूर्ण हो
......
अब चलें रचनाओं की ओर...

धीरे-धीरे से पाँव उठाती
चाल चली वो मध्धम-मध्धम
नैनों में काजल था श्यामल
सपने सजे थे उज्जव उज्जल
किससे कहे मन की वो बातें
लाज का पहरा झीना-झीना।

रची  थी हाथों में मेहंदी
रंग बहुत ही भीना-भीना।


ओस थे घास पर 
और नमी आंखों की 
शब्द शब्द पिघले 
पर 
पंक्तियों की कतार में 
कविता प्यासी रह गई !!


कुंकुम बिन्दी मेंहदी, काले-काले बाल।
रचकर दिखलाती हिना, अपना खूब कमाल।।

मेंहदी को मत समझना, केवल एक रिवाज।
सुहागिनों का गन्ध से, हिना खोलती राज।।


शरद चाँदनी से उजले हाथों में, 
मेहंदी के मोहक उठाये पात , 
पुलकित हृदय से इठलायी, 
हर्षित फ़ज़ा से झूमी साँझ।


हल्की गुलाबी मेहँदी रची तो दूल्हा  मिलेगा  हसींन 
गहरी रची तो आएगा ऐसा होगा जो मन का रंगीला 
ये हैं निशानी सुहाग  की ,लाली इसमें अनुराग की। 
....
आज बस इतना ही
कल फिर
सादर


6 comments:

  1. सभी साथियों को महाशिवरात्रि की शुभकामनायें !

    मातृभाषा दिवस की भी सभी को बधाई!

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  2. व्वाहहहह
    सादर...

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  3. खूबसूरत प्रस्तुति, महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. खूबसूरत, सुंदर प्रस्तुति सुंदर लिंक चयन।
    सभी रचनाएं बहुत सुंदर।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

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  5. वाह, सुंदर अंक 👌👌👌

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  6. सुंदर प्रस्तुति आदरणीया दी ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ,सादर नमन

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