Sunday, February 23, 2020

275..चांद तुम लेफ्टिस्ट से हो गए हो

सादर अभिवादन
होली नज़दीक है
है तो पवित्र उत्सव
पर कतिपय लोगों नें
इसमें गंदगी भर दी है
चलिए चलिए चलें रचनाएँ प्रतीक्षा में है...

साथ मिले जब इक दूजे का, 
कुछ भी हासिल हो जाए ।
शूल राह से दूर सभी हो, 
घने तिमिर भी छँट जाएँ।। 
मुट्ठी में उजियारा भर कर, 
दूर अँधेरा कर देना। 


उनकी आँखों से पैगाम मिला है
मेरी निगाहों को श्रंगार मिला है
कहीं धुल न जाए काजल
प्रिया का अक्स उसमें छिपा है |


बिल्ली
बनकर रोज
प्रगति की राह काटते,
खबरों के
मालिक
अफ़ीम सी ख़बर बाँटते,
सारे नकली
ताल-तबलची
रंग-राग में ।


वस्ल की रात आज आई है
बज उठीं है ये चूड़ियां शायद..।।

आग दिल में लगी बुझे कैसे
उठ रहा इस लिये धुआं शायद।।

उनके आने से बहार भी आई
खूब मचले ये शोखियाँ शायद।।


ए चांद ये सुना है
तुम जिहादी हो गए हो
चौदहवीं के चांद थे तुम
अब ईद के  ही हो गए हो !!

तुम  तो थे  प्रीतम  की
रचना का  सुंदर मुखड़ा
सुना है मुफलिसी की
रोटी भी हो गए हो !

2 comments:

  1. आपका हार्दिक आभार |अच्छे लिंक्स |

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  2. सुप्रभात
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद यशोदा जी |

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