Tuesday, November 26, 2019

187...दबाए, अव्यक्त वेदनाओं के झंकार

आज भारतीय संविधान दिवस है

आज ही के दिन संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष 
डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 से संविधान दिवस मनाया गया। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया।

सादर अभिवादन...
अब चलें रचनाओं की ओर..

टूटा सा तार ....पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

जर्जर सितार का, हूँ इक टूटा सा तार! 
संभाले, अनकही सी कुछ संवेदनाएं, 
समेटे, कुछ अनकहे से संवाद, 
दबाए, अव्यक्त वेदनाओं के झंकार, 
अनसुनी, सी कई पुकार, 
अन्तस्थ कर गई हैं, तार-तार! 


आवला कैंडी ....ज्योति देहलीवाल
आवला कैंडी (Amla candy recipe in hindi)
आंवला हमारी सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी होने से इसे अमृतफल कहा जाता हैं। इसलिए हमें आंवले को किसी न किसी रुप में खाना ही चाहिए। मैं ने इसके पहले आंवला गटागट, आंवले के चटनी, आंंवला शरबत, आंवला चूर्ण और आंवले की खट्टी-मिठ्ठी लौंजी आदि की रेसिपी शेयर की थी। संबंधित शब्दों पर क्लिक करके आप वो रेसिपी पढ़ सकते हैं। आज मैं आपको सफ़ेद आंवला कैंडी बनाने की रेसिपी बता रही हूं। आंवला कैंडी को लेकर अक्सर लोगों को शिकायत होती हैं कि उनके द्वारा बनाई गई आंवला कैंडी का रंग सांवला हो जाता हैं,


सुधा की कुंडलियाँ....   सुधा सिंह

थैली पॉलीथीन की, जहर उगलती जाय ।
ज्ञात हमें यह बात तो,करते क्यों न उपाय ।।
करते क्यों न उपाय, ढोर पशु खाएँ इसको ।
बिगड़ा पर्यावरण, अद्य समझाएं किसको।।
कहत 'सुधा' कर जोड़, सुधारो जीवन शैली ।
चलो लगाएं बुद्धि , तज़ें पॉलीथिन थैली।।


बकरबग्घा ....विश्वमोहन कुमार

एक युग बीत चुका था। बकरे की माँ आखिर कबतक खैर मनाती। उसका भी  छल अब नंगा हो चुका था। लकड़बग्घों ने प्रजा के समक्ष बकरियों की जालबाजी के तार-तार उधेड़ दिए थे। अब लकड़बग्घे  सत्तासीन थे। लकड़बग्घों की लीक पर ही भेड़ियों ने भी उनके दृष्टिपत्र में सेंध मारकर अपना एक अलग दर्शन जंगल को दिखाया था। लेकिब यह दर्शन जंगल के किसी खास भाग में ही अपनी छाप छोड़ सका।


आज की नारी ....अनीता सुधीर

दस भुजा अब रक्खे नारी ,करते तुम्हें प्रणाम
बाइक पर सवार हो, तुम चलती खुद के धाम।

सरस्वती अन्नपूर्णा हो तुम,लिये मोबाइल हाथ
पुस्तक बर्तन लैपटॉप, रहते तेरे साथ ।
...
अब बस
कल हम नहीं मिलेंगे
सादर



6 comments:

  1. सुंदर संकलन। बधाई और आभार।

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  2. आप का हार्दिक आभार

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  3. वाह, अभिभूत हूँ । मेरी रचनाओं की पंक्तियाँ इस अंक का शीर्षक बन सकी। आभार।

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  4. सुंदर संकलन। मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।

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