सादर अभिवादन
माह नवम्बर का पहला दिन
क्या कुछ यादगार कर लिया
अक्टूबर ने...हाँ दो नए राज्य दिए हैं
शुभकामनाएँ..
अब नवम्बर से भी बहुत उम्मीदें है..
माह नवम्बर का पहला दिन
क्या कुछ यादगार कर लिया
अक्टूबर ने...हाँ दो नए राज्य दिए हैं
शुभकामनाएँ..
अब नवम्बर से भी बहुत उम्मीदें है..
चलें आज की रचनाओं की ओर...
यूँ तो भाईदूज के दिन बिहार के मिथिला में भी रंगोली बनाई जाती है.., परन्तु दक्षिण भारतीयों के घर के सामने, प्रतिदिन सुबह पौ फटने के पहले, दरवाजे पर रंगोली का बनना हमेशा चित्ताकर्षक होता है। दशहरे का समय और रविवार था कुछ दूरी पर महिला टोली डांडिया में मस्त थी... दोपहर में रंगोली बनाने के लिए जुटी रंगीन परिधानों में सजी युवतियों की टोली... लुभा रही थी.., बेहद दिलकश नज़ारा था..., बैंगलुरू के कब्बल पार्क में।दिलकश नजारे में पुष्पा भी भींगना डूबना चाह रही थी.. लेकिन वह थोड़ी झिझक में थी क्यों कि सभी उसके लिए अनजान थीं।
आज भी तो नवजात बिटिया के
जन्म पर,भविष्य के भार से
काँपते कंधों को संयत करते
कृत्रिम मुस्कान से सजे अधरों और
सिलवट भरे माथे का विरोधाभास लिये
"आजकल बेटियाँ भी कम कहाँ है"
जैसे शब्दांडबर सांत्वना की थपकी देते
माँ-बाबू पर दया दृष्टि डालते परिजन की
"लक्ष्मी आई है"के घोष में दबी फुसफुसाहटें
खोखली खुशियाँ अक्सर पूछती हैं
बेटियों के लिए सोच ज़माने ने कब बदली?
दिख जाती है मुझे स्वप्न में
आँचल से दुलराती माँ !
कभी गरजती, कभी बरजती
आँखों से धमकाती माँ !
कान पकड़ती, चपत लगाती
जाने क्यों तड़पाती माँ !
अक्सर खामोश लम्हों में
किताबें भंग करती हैं
मेरे मन की चुप्पी…
खिड़की से आती हवा के साथ
पन्नों की सरसराहट
बनती है अभिन्न संगी…
किसी दिन सहसा ही
एक अंधेरे कमरे में
मौन हो जाएगी
मेरी आवाज
रुक जाएगी मेरी सांसें
मेरी देह परिवर्तित हो जाएगी
एक मृत शरीर में
क्या लिखते हैं
लिखने वाला जाने
पर रहती तो बातें गूढ़ हैं
लिखने वाला जाने
पर रहती तो बातें गूढ़ हैं
रसोई में
खाली हो चुके
राशन के
डब्बों के ऊपर
उधम मचाते
नींद उड़ाते
रद्दी बासी
अखबार कुतरते
चूहे
किसी की
माथे पर पड़ी
चिंता की रेखायें
....
अब बस..
कल भी आना है
खातिर जमा रखिए
सादर
कल भी आना है
खातिर जमा रखिए
सादर
आभार यशोदा जी। बातों को जगह देने के लिये।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteसभी रचनाएँ लाजवाब..
सादर...
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ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति.. मेरी रचना साझा करने के लिए आपका सादर आभार यशोदा जी ।
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का मुखरित मौन ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
ReplyDeleteअति सुंदर प्रस्तुतीकरण
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ReplyDeleteबहुत सुंंदर.सूत्रों से सजी प्रस्तुति है दी।
ReplyDeleteमेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत आभार।
बेहतरीन प्रस्तुति....
ReplyDeleteमेरी रचना 'अधूरी कविता' को स्थान देने के लिए धन्यवाद आपका
आदरणीय दीदी सुंदर अंक , भावपूर्ण सूत्रों के साथ। झारखंड के साथ आज हरियांना , पंजाब का भी स्थापना दिवस है। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। 🙏🙏🙏🌷💐🌷💐🌷💐🌷
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