Saturday, November 16, 2019

177..ज़िन्दगी इतनी आसान भी नहीं थी


सादर अभिवादन
मेरे एक बाजू की हड्डी 
थोड़ी सी सरक सी गई है
काम चल रहा है..
डॉ. ने आराम करने को कहा है
सो अपने बाजू को सुला दिया है
एक ही बाजू से काम चलेगा अब 
एक माह तक..
दुआ कीजिए वो शीघ्र स्वस्थ हो जाए

अब देखिए आज की पसंदीदा रचनाएँ.....


न पानी में शोर है
न हवाओ में जोर है।
 बजबजा रही है नाली
'भारी-भरकम'कीटाणुओं से।
उतरे हैं हवाओं में बनकर
ये 'भारी-भरकम'जहर।
दुबके बैठे है दफ्तरों में
कुर्सियों पर ये 'भारी-भरकम'।


ज़िन्दगी इतनी आसान भी नहीं थी 
दूर के मकान से देखी हुई दास्तान भी नहीं थी 

दूर भागे भी तुझी से, गले लगाया भी तुझी को 
महबूब की तरह इतनी मेहरबान भी नहीं थी


ख्यालों को बुन कर शब्दों में
एक दुशाला बनाया है मैंने
बड़ें जतन से उसे मन के
बक्से में सहेजा  मैंने |
जब भी दिल चाहता ओढ़ने का उसे
बहुत प्यार से निकालती हूँ


छूकर गुजरती हवा,
राग कुछ छेड़ती।
शब्द की खामोशी को‌,
छेड़कर तोड़ती।
सिमटी बूँद ओस की ,
कली से कर बात।



मुझे याद आओगे....


एक हल्की सी हँसी, 
मखमली मुस्कान समेटे|
तेरी छोटी छोटी शरारतें, 
करें घाव गहरा||

आज बस इतना ही
कल फिर मिलते हैं
सादर


9 comments:

  1. शानदार ज मुखरित मौन।
    सभी रचनाएं बहुत सुंदर।

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  2. अपना ख्याल रखें सखी हाथ को आराम दें , डाक्टर के कहे मुताबिक चलें।

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  3. जी, अत्यंत आभार और आपके अतिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभ कामना।

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  4. हड्डियाँ ना खिसकाइये
    वापस
    अपनी जगह ले आइये।

    सुन्दर प्रस्तुति।

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  5. सुन्दर प्रस्तुति..... मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार|

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  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी।

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  7. सुंदर प्रस्तुति आदरणीय दीदी, आपकी बांह के बारे में जानकर बहुत खेद हुआ , पर आपकी खुशमिजाज़ी और हौन्सला देखकर बहुत अच्छा लगा । आपकी शीघ्र कुशलता की कामना करती हूँ । आज के सभी रचना सहभागियों को शुभकामनायें । सादर

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  8. शीघ्र स्वस्थ हों आप दीदी, यही कामना करती हूँ। अंक बहुत अच्छा है। सादर।

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  9. सुप्रभात
    सुप्रभात
    आपका स्वास्थ्य जलदी से ठीक हो एसी ईश्वर से कामना है |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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