स्नेहिल नमस्कार
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जीवन दर्शन पर कुछ पंक्तियाँ
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लोलुप मन मेरा कितना तड़पा
तृप्ति,अतृप्ति का रोना रो
तन के मोह में समझ न आया
यह जनम-मरण का फेरा है
मनु मुसाफ़िर आजीवन भटका
जग ही सर्वस्व समझ बैठा
अंत समय फिर प्रश्न में उलझा
अब कौन धाम तेरा डेरा है?
★★★★★
जीवन दर्शन पर कुछ पंक्तियाँ
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लोलुप मन मेरा कितना तड़पा
तृप्ति,अतृप्ति का रोना रो
तन के मोह में समझ न आया
यह जनम-मरण का फेरा है
मनु मुसाफ़िर आजीवन भटका
जग ही सर्वस्व समझ बैठा
अंत समय फिर प्रश्न में उलझा
अब कौन धाम तेरा डेरा है?
नाम इतने दिए मुझे तूने
नाम इतने दिए तुझे मैंने
कभी कोई कहीं तो सुनता होगा
सुन के कैसे तू सह पाता है !
★★★★★
जज़्बात छिपाये तो
टीस उठेगी
छिपाने की जगह दिखाया भी करो
ज्यादा दिन दूर रहने से
दूरियां बढ़ जाती हैं
★★★★★
दरअसल मेरी कोशिश
तुम्हें, तुम्हारी सारी ख़ूबसूरती के साथ
एक प्रेम कविता बना देने की थी
जिसमें तुमको ज़िंदा रहना था
जैसे मेरा प्यार ज़िंदा है
तुम्हारे चले जाने के बाद भी
मैंने कहा था
तुमसे ख़ूबसूरत
कोई कविता नहीं
★★★★★
पकड़ी गयी अधिकतर
मछलियों के गले में कांटे फंसे मिले
अपवाद रहीं वे मछलियाँ
जिनके कांटें खाने वाले के गले में फंसे
फिर भी मछलियाँ
शिकारी का विलोम नही.
★★★★★★★
रात का हर पहर ,
ठुड्डी टिकाये रायफ़ल पर,
निहारा है खुला आसमान,
चाँद-सितारों से किया,
बखान अपना फ़साना गुमनाम ।
★★★★★★
और चलते-चलते
और चलते-चलते
चंद पंक्तियाँ
अनायास भावनाओं की
बहती बयार संग बहती हुई
तुम्हारे मन की कपूरी-सुगन्ध
पल-पल .. निर्बाध .. निर्विध्न ..
घुलती रहती है हर पल ..
निर्विरोध .. निरन्तर ..
मेरे मन की साँसों तक
★★★★★
आज की शाम का यह मुखरित मौन
आप सभी को कैसा लगा?
आप सभी की प्रतिक्रियाओं
की प्रतीक्षा रहती है।
#श्वेता सिन्हा
अनायास भावनाओं की
बहती बयार संग बहती हुई
तुम्हारे मन की कपूरी-सुगन्ध
पल-पल .. निर्बाध .. निर्विध्न ..
घुलती रहती है हर पल ..
निर्विरोध .. निरन्तर ..
मेरे मन की साँसों तक
★★★★★
आज की शाम का यह मुखरित मौन
आप सभी को कैसा लगा?
आप सभी की प्रतिक्रियाओं
की प्रतीक्षा रहती है।
#श्वेता सिन्हा
बेहतरीन संयोजन..
ReplyDeleteसादर..
बहुत सुंदरदर।
ReplyDeleteश्वेता जी ! हर बार की तरह पुनः मन से आभार आपका मेरी रचना को मुखरित मौन में साझा करने के लिए .... बहुत संवेदनशील और रूमानी रचनाओं के संकलन के साथ आपकी शुरूआती भूमिका जीवन-दर्शन के निर्गुण का आभास कराती है .......
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ReplyDeleteश्वेता जी
बेहतरीन संयोजन..
मेरी रचना को मुखरित मौन में साझा करने के लिए बहुत आभार आपका ,,,
आपने बहुत अच्छी रचनाओं के लिंक्स दिए हैं...
ye pnkiyaa bahut achii lgin
ठुड्डी टिकाये रायफ़ल पर,
निहारा है खुला आसमान,
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति दी
ReplyDeleteमुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आप का
सादर
लाजवाब ,बेहद खूबसूरत ,धन्यवाद आप सभी का
ReplyDeletethanks gym motivaional quotes
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