Saturday, August 3, 2019

72....एक अच्छा दिन आया है आज कई सालों के बाद

सादर अभिवादन...
बस कुछ ही दिन बचे हैं सावन के
राखी और स्वतंत्रता की वर्षगाँठ एक ही दिन है
फिर नए उत्सव की तैय्यारिया शुरु

चलिए चलें आज प्रकाशित रचनाओं की ओर...

मन में  उड़ती विचारों  की  धूल,
 ख़्वाहिशों  का  स्थानांतरण करने में,
 तत्परता की अगुवाही बेरहमी से करती है ज़िंदगी |
  बटेर-सी पुकारती  आत्मा की आवाज़,
खेजड़ी की छाँव में बिठाकर ढाढ़स बँधाने का,
 ढकोसला ख़ूबसूरती से सजाती है ज़िंदगी |

कलम की ताकत...अनुराधा चौहान

खुशियों का पैगाम बनी
हर दिल का लिखती हाल
यह कलम की ताकत है
इतिहास रचता कलमकार

सजनी की पाती लिखे
लिखती माँ की ममता
पिता का आशीष लिखे
कलम दिल की जुबां बने

मैं अकेला चलता हूँ .....संजय भास्कर

मैं अकेला चलता हूँ 
चाहे कोई साथ चले 
या न चले 
मैं अकेले ही खुश हूँ 
कोई साथ हो या न हो 
पर मेरी छाया
हमेशा मेरे साथ होती है !

मुस्कुराते गो ज़माना हो गया है ... चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
शर्म आँखों को न आई तो न आई
मुस्कुराते गो ज़माना हो गया है

आगे था पीने पिलाने का मज़ा और
अब तो बस पीना पिलाना हो गया है

बधाई प्रिय रवीश कुमार 

‘उलूक’ भी 
हाथ में लिये 
आईना 

शक्ल 
अपनी 
सोचता हुआ 

आँख 
बन्द करके 

दिमाग से 
देखने के 
करतबों की 
......
आज बस
आज्ञा दें
यशोदा











8 comments:

  1. वाह !बेहतरीन प्रस्तुति 👌
    तहे दिल से आभार दी मुझे स्थान देने के लिये |
    सादर

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  2. व्वाहहहह..
    बेहतरीन..
    सादर..

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  3. सस्नेहाशीष छोटी बहना
    शानदार संकलन

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  4. सुंदर संकलन सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी

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  5. जो खबर किसी अखबार ने नहीं छापी आपने छाप ही दी यशोदा जी। आभार।

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  6. बेहतरीन लिंक्स के साथ खूबसूरत प्रस्तुति ।

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति, सार्थक मोहक संकलन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

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  8. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति

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