सादर अभिवादन..
आज हलछठ है
देवी जी तैय्यारियों मे लगी हुई
सो हम भी उनकी मदद कर रहे हैं
आइए देखे आज की रचनाएँ....
दोस्ती ज़िंदगी बदल देती है ....अजय कुमार झा
संजीव की दिलेरी , साहस और जीवटता को
यदि उस समय गलत दिशा में जाने से नहीं रोका जा पाता तो
ये कहानी मैं आपको नहीं सुना पाता। .........
हाँ ये उन दिनों की बात थी
शाख़ से जुड़ा गुलाब ...सुबोध सिन्हा
एक गुलाब पुष्पगुच्छों में बंधा
किसी वातानुकूलित सभागार के
सुसज्जित मंच के केंद्र में
एक क़ीमती मेज़ पर पड़े
किसी गुलदस्ते में था रखा
चाय की मीठी मीठी चुस्कियाँ...जोया
बादामी चाय की मीठी मीठी चुस्कियाँ ,
चलो. कुछ सुस्त पलों से रूह सहलाएं !
ज़िंदगी कुछ कुछ चाय सी भी होती है
ठंडी पड़ जाए तो वो स्वाद नहीं आता
दो राहें पर मिले हम ...रवीन्द्र भारद्वाज
हम अब कुछ कह नही सकते
लेकिन बहुत कुछ सह सकते है
सह भी चुके है
न आगे जाने की जिद है
न पीछे मुड़ जाने की ख्वाहिश
अभिधा बन रहूँ सृष्टि के साथ ...अनीता सैनी
छल-कपट कोढ़ काया के ,
कपटी मन का भार,
जीवन मानव मिला मुझे,
क्यों करूँ कपटी का श्रृंगार |
आज की ताजी रचनाएँ
बस इतनी
दिग्विजय
आज हलछठ है
देवी जी तैय्यारियों मे लगी हुई
सो हम भी उनकी मदद कर रहे हैं
आइए देखे आज की रचनाएँ....
दोस्ती ज़िंदगी बदल देती है ....अजय कुमार झा
संजीव की दिलेरी , साहस और जीवटता को
यदि उस समय गलत दिशा में जाने से नहीं रोका जा पाता तो
ये कहानी मैं आपको नहीं सुना पाता। .........
हाँ ये उन दिनों की बात थी
शाख़ से जुड़ा गुलाब ...सुबोध सिन्हा
एक गुलाब पुष्पगुच्छों में बंधा
किसी वातानुकूलित सभागार के
सुसज्जित मंच के केंद्र में
एक क़ीमती मेज़ पर पड़े
किसी गुलदस्ते में था रखा
चाय की मीठी मीठी चुस्कियाँ...जोया
बादामी चाय की मीठी मीठी चुस्कियाँ ,
चलो. कुछ सुस्त पलों से रूह सहलाएं !
ज़िंदगी कुछ कुछ चाय सी भी होती है
ठंडी पड़ जाए तो वो स्वाद नहीं आता
दो राहें पर मिले हम ...रवीन्द्र भारद्वाज
हम अब कुछ कह नही सकते
लेकिन बहुत कुछ सह सकते है
सह भी चुके है
न आगे जाने की जिद है
न पीछे मुड़ जाने की ख्वाहिश
अभिधा बन रहूँ सृष्टि के साथ ...अनीता सैनी
छल-कपट कोढ़ काया के ,
कपटी मन का भार,
जीवन मानव मिला मुझे,
क्यों करूँ कपटी का श्रृंगार |
आज की ताजी रचनाएँ
बस इतनी
दिग्विजय
सुन्दर अंक।
ReplyDeleteव्वाहहहह...
ReplyDeleteबेहतरीन..
आभार आप जोया को यहाँ लाए..
नमन..
yashoda AgrawalAugust
Delete"जोया" se aapkaa matlab mujhse hi he kyaa...:)
oohhh..agar he to...bahut bahutt shukriyaaa aapkaa....
hmmmmm
शुभ प्रभात बहन
Deleteजी, आपकी रचना पहली बार लाकर पढ़वाई गई
इसी का आभार व्यक्त किया हमने...
आभार..अच्छा लिखती हैं आप..
सादर...
:)
Deletebehan bhi keh rhii hain....aur aabhar bhi...
sneh dijiye :)
yuhin utsaah bdhaati rahen
विविधता भरा बेहतरीन अंक ।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत अंक
ReplyDeleteमुझे यहाँ स्थान देने के लिए आभार आपका
सादर
🙏
बहुत सुंदर प्रस्तुति।सादर
ReplyDelete
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत links laaye aap yahaan....
अभिधा बन रहूँ सृष्टि के साथ ...अनीता सैनी ..anita ji ko badhaay ...bahut bdhiyaa rchnaa
sabhi rchnaaye khoobsurat...abhi do teen hi pdh paayi hun....dheere dheere sab ..pdhti hun.....
aabhaar aapkaa
सदा की तरह सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteपोस्ट को मान व स्थान देने के लिए आपका आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति भाई दिग्विजय जी ।
ReplyDeleteसुंदर लिंक ।