स्नेहिल नमस्कार
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अब शराबियों के लिए लाइसेंसी दुकान का झंझट खत्म साथ ही पीने वालों को घर का माहौल मिलेगा।
मोहल्ले में नये किराना दुकान खोलने के लिए व्यापारियों का
उत्साह देखते ही बन रहा है।
शराब की आसान उपलब्धता देखते हुये
महिलाओं और बच्चों में भी काफी उत्सुकता है।
कोलड्रिंक व्यापारी अब शराब बेचने का मन बना रहे।
अगले सत्र के बजट पेश होने तक राजस्व में तिगुना लाभ संभव है और शराबियों की संख्या में....?
अब असमंजस तो ई है कि लोग खाये कि पीये?
★★★★★★
आइये आज शाम की रचनाएँ पढ़ते हैं-
रचनाओं के साथ कोई तस्वीर नहीं थी इसलिए
तस्वीरें मेरी ली हुई मैंने लगा दी है।
आज विश्व फोटोग्राफी दिवस है न।
मोहल्ले में नये किराना दुकान खोलने के लिए व्यापारियों का
उत्साह देखते ही बन रहा है।
शराब की आसान उपलब्धता देखते हुये
महिलाओं और बच्चों में भी काफी उत्सुकता है।
कोलड्रिंक व्यापारी अब शराब बेचने का मन बना रहे।
अगले सत्र के बजट पेश होने तक राजस्व में तिगुना लाभ संभव है और शराबियों की संख्या में....?
अब असमंजस तो ई है कि लोग खाये कि पीये?
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आइये आज शाम की रचनाएँ पढ़ते हैं-
रचनाओं के साथ कोई तस्वीर नहीं थी इसलिए
तस्वीरें मेरी ली हुई मैंने लगा दी है।
आज विश्व फोटोग्राफी दिवस है न।
★
आ.दिगंबर नासवा जी
जाने क्यों आँखें रहती नम-नम.
आ.दिगंबर नासवा जी
जाने क्यों आँखें रहती नम-नम.
सबके अपने अपने गम
कुछ के ज्यादा कुछ के कम
सह लेता है जिसमें दम
सुन आँसूं पलकों के पीछे थम
जाने क्यों आँखें ...
★★★★★
आ. रवींद्र सिंह यादव जी
नशेमन
ख़ामोशियों में डूबी
चिड़िया उदास नहीं,
दरिया-ए-ग़म का
किनारा भी पास नहीं।
दिल में ख़लिश
ता-उम्र सब्र का साथ लिये,
गुज़रना है ख़ामोशी से
हाथ में हाथ लिये।
★★★★★
आ.अपर्णा जी
कविता की रेसिपी
★★★★★
आ.अनिता जी
हरसिंगार के फूल झरे
★★★★★
आ.कौश्लेन्द्रम् जी
आ. रवींद्र सिंह यादव जी
नशेमन
ख़ामोशियों में डूबी
चिड़िया उदास नहीं,
दरिया-ए-ग़म का
किनारा भी पास नहीं।
दिल में ख़लिश
ता-उम्र सब्र का साथ लिये,
गुज़रना है ख़ामोशी से
हाथ में हाथ लिये।
★★★★★
आ.अपर्णा जी
कविता की रेसिपी
तुम्हारे शब्दों की छांव में,
छुप जाएगा सारा जहां,
अपने -अपने ज़ख़्म छिपाये हुए लोग
मरहम की आस में आएंगे निकट,
तुम्हारी कविता में खोज लेंगे
अपने-अपने प्रेम,
अपनी आदतें, अपने रोष!
कविता तब कविता नहीं होगी,
होगी मानव मन का आख्यान,
न कम न ज़्यादा
आ.अनिता जी
हरसिंगार के फूल झरे
तस्वीर:अनीता जी के ब्लॉग से
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प्रथम किरण ने छूआ भर था
शरमा गए, झर– झर बरसते
सिउली के ये कुसुम निराले !
कोमल पुष्प बड़े शर्मीले
नयन खोलते अंधकार में
उगा दिवाकर घर छोड़ चले !
छोटी सी केसरिया डाँडी
पांच पंखुरी श्वेत वर्णीय
खिल तारों के सँग होड़ करें !
★★★★★
आ.कौश्लेन्द्रम् जी
मैं प्रायः दो बातें कहा करता हूँ – एक तो यह कि जब कभी विकसित सभ्यताओं का पतन प्रारम्भ होगा तब नयी सभ्यता का उदय एक बार फिर पहाड़ों और जंगलों में रहने वाली जनजातियों से ही होगा, और दूसरी बात यह कि प्राणियों के मामले में सनातनधर्म की शुरुआत मॉलीकुलर बायोलॉज़ी से होती है । इन बातों को गहरायी से समझने की आवश्यकता है । वास्तव में सनातन धर्म को जैसा मैं समझ सका हूँ... उसकी व्यापकता क्वाण्टम फ़िज़िक्स में भी है और ह्यूमन फ़िज़ियोलॉज़ी में भी ।
★★★★★
प्रस्तुति कैसी लगी आपको?
आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है।
#श्वेता सिन्हा
★★★★★
प्रस्तुति कैसी लगी आपको?
आपकी प्रतिक्रिया बहुमूल्य है।
#श्वेता सिन्हा
श्रावण मास की समाप्ति के
ReplyDeleteदूसरे दिन ही नशे की नशीली बातें
बढ़िया प्रस्तुति..
सादर....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। बढ़िया समाचार के साथ :) दिग्विजय जी भी प्रसन्न नजर आ रहे हैं ।
ReplyDeleteबढ़िया है। बिहार का आदमी दिनभर झारखंड की दूकान पर नौकरी बजा के रात में घर लौट जाएगा। सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमौन सच में मुखरित हो के बोल रहा है ... सुन्दर लिंक्स ...
ReplyDeleteआभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए ...
दुखद और अशोभनीय समाचार देती भूमिका..यह कैसा मजाक है, यदि इसमें तिल मात्र भी सच्चाई है तो इसका विरोध क्यों नहीं हो रहा..
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