Monday, February 8, 2021

625.... अब मेरा कोई भाई या किसी और का भी भाई ऐसे रोता नहीं आएगा

सादर अभिवादन
आज कौन सा दिन है
कल तो रोज़ डे था
रुकिए पूछते हैं
गूगल जी महाराज से...
बताया गया कि आज
प्रपोज़ डे है
तो हमारी तरफ से
हैप्पी प्रपोज़ डे
अब चलें रचनाओं की ओर......

कबूतर  तुम्हारा  नियमित  आना
समय से दाना चुगना
वख्त की अहमियत समझना
यही  है मूल मन्त्र जीवन पथ पर
अग्रसर होने का |


पहेलियाँ दिमागी कसरत का सबसे बेहतरीन माध्यम होती है।
ये सभी पहेलियाँ एकदम नई और रोचक है...
इन पहेलियों के जबाब देकर
जांचिये खुद की दिमागी क्षमता को...
सभी पहेलियों के जबाब पहेलियों के अंत में दिए गए है।


इस अंध यात्रा का कोई अंत नहीं, कोई
स्पर्श है, जो अपनी तरफ खींचे
लिए जाता है, वो निःस्वार्थ
लगाव है या स्पृहा,
जितना ऊपर
हम आना
चाहें,
उतना ही वो नीचे लिए जाता है।


हर किले में दर्ज है शाहों,महाराजों के नाम
दर्ज तो कारीगरों का नाम होना चाहिए

घी, नमक,रोटी खिला देती थी अक्सर प्यार से
माँ का वह चूल्हा,धुँआ, हर शाम होना चाहिए


उसके मुँह से अकस्मात् निकला,-
"अब मेरा कोई भाई या किसी और का भी भाई
ऐसे रोता नहीं आएगा..
हम सब भाई आपस में प्यार-मोहब्बत से
मिलकर उदाहरण बनकर रहेंगे और
किसी भी समस्या का समाधान मिलकर करेंगे।"
.....
बस
सादर

7 comments:

  1. जितना ऊपर
    हम आना
    चाहें,
    उतना ही वो नीचे लिए जाता है।
    शानदार

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  2. मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल क्र्ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।

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  3. भाग लो
    या फिर
    भाग लो
    बेहतरीन..
    सादर...

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  4. विविध रंग बिखेरता हुआ मुखरित मौन हमेशा की तरह अपनी अलग छाप छोड़ जाता है, मुझे स्थान देने हेतु असीम आभार आदरणीया यशोदा जी - - नमन सह।

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  5. अच्छे लिंक्स संजोए हैं आपने प्रिय यशोदा जी 🙏

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  6. सस्नेहाशीष और असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना..
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

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