Wednesday, February 3, 2021

620 ..आज अखबार के पन्ने पर जगह पाई है बधाई है ‘उलूक’ बधाई है

सादर नमस्कार
आज फिर मैं
आपकी खिदमत में
चलिए आज का पिटारा खोलें....
पहली प्रस्तुति..
अच्छी खासी मनोरंजक
व शिक्षाप्रद है  

एक बादशाह के आगे पाँच आदमी बैठे थे
–अन्धा, -भिखारी, -प्रेमी , -इस्लाम धर्मगुरु , -सत्य ज्ञानी
बादशाह मे मिस्रा एक पढ़ा
“इस लिये तस्वीरे-जानान् हमने बनवाई नहीं।”
कहा इसे पूरा करिए
अन्धे ने पहली पंक्ति जोड़ते हुए कहा
इसमें गूयाई नहीं और मुझमें बीनाई नहीं।
इस लिये तस्वीरे-जानान् हमने बनवाई नहीं

भिखारी ने कहा –
माँगते थे ज़र्रे-मुस्वर जेब में पाई नहीं।
इस लिये तस्वीरे-जानान् हमने बनवाई नहीं।

प्रेमी ने कहा –
एक से जब दो हुए फिर लुत्फ़ यक्ताई नहीं।
इस लिये तस्वीरे-जानान् हमने बनवाई नहीं।

इस्लाम धर्मगुरु ने कहा –
बुत परस्ती दीने-अह्मद में कभी आई नहीं।
इस लिये तस्वीरे-जानान् हमने बनवाई नहीं

सत्य ज्ञानी ने कहा –
हमने जिस को हक़ है मान, हक़ वो दानाई नहीं।
इस लिये तस्वीरे-जानान् हमने बनवाई नहीं।

हर किसी की सोच भिन्न-भिन्न होती है।
संस्कृत (वायुपुराण) में एक कथन है –

मुंडे मुंडे मतिर्भिन्ना कुंडे कुंडे नवं पयः।
जातौ जातौ नवाचाराः नवा वाणी मुखे मुखे।।




चाँद पर मैंने भी ली है जमीन किराए पे
सैटलाइट में बैठ के जाएंगे किराए पे
सुना है खाना कपड़ा पानी, वहाँ किराए पे सब पहुंचता है


कील - कांटों भरी राह, क्या कीजिए !
ज़िद पे आया है मन, आज रुकता नहीं

बंद हैं खिड़कियां, बंद सम्वाद हैं
कोई करके पहल बात करता नहीं



करना है उत्थान अगर तो,करता चल संघर्ष।
आनेवाली चुनौतियों को स्वीकार करो सहर्ष।
मुश्किल से ना डरना है,मन में ना घबराना है।
जीवन एक संघर्ष है,  हंसकर गले लगाना है।

‘उलूक’
कुत्ते पाला कर
शहर में भी भेजा कर
अखबारों की जरूरत आज बदल कर
नई सोच उभर कर आई है

अच्छा करना
ठीक नहीं
कुत्ते ने कुत्ते के ऊपर भौंक कर
आज अखबार के पन्ने पर जगह पाई है ।
....
बस
सादर

8 comments:

  1. बेहतरीन..
    सादर..

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  2. आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी,
    वास्तव मेंं आज का अंक मनोरंजक व शिक्षाप्रद पोस्ट लिंक्स से परिपूर्ण है। बहुत अच्छा संयोजन है। साधुवाद 🙏
    मेरी ग़ज़ल को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏
    सादर,
    डॉ. वर्षा सिंह

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  3. आज के सुन्दर रोचक रचनाओं से परिपूर्ण तथा ज्ञानवर्धक अंक के सराहनीय प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक शुभकामनायें, आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी, श्रमसाध्य कार्य हेतु आपको सादर नमन..

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  4. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

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