Thursday, July 30, 2020

431.. पागल जमाने को और पागल बनाओ

खुशियां बढ़ती जा रहा है
सातवां जो बीत रहा है
होता तो है खतरनाक
हम आज घर से बाहर निकले
घण्टे भर में जो देखा
मन काँप गया...
जरा से भी भयभीत नहीं है लोग
फेसमास्क नहीं, एक गाड़ी में
तीन सवारी...
बेचारी पुलिस भी क्या करे
उन कतिपय लोगों की वजह से
वे भी संक्रमित हो रहे हैं
...
होइहैं वही जो राम रचि राखा


आलू पर दोहे ...कंचनलता चतुर्वेदी
जनमें धरती गर्भ से, रक्षा करे किसान।
बेचे अच्छे भाव में, और बने धनवान।।

नहीं जलन की भावना,करता सबसे प्रीत।
सबके दुख में साथ दे, बनकर उसका मीत।।


शहर में बारिश ..स्वराज्य करुण

काले ,घुंघराले बादलों 
के बीच सूर्योदय और सूर्यास्त !
उनकी रिमझिम बरसती
जल बूंदों की सरसराहट से भरा 
एक भीगा हुआ दिन ! 
जब दोपहर को भी लगता है जैसे
अभी तो सुबह के छह बजे हैं !


साक्षी ...अनीता

बनें साक्षी ? 
नहीं, बनना नहीं है 
सत्य को देखना भर है 
क्या साक्षी नहीं हैं हम अपनी देहों के 
शिशु से बालक 
किशोर से प्रौढ़ होते ! 
क्या नहीं देखा हमने 
क्षण भर पूर्व जो मित्र था उसे शत्रु होते  
अथवा इसके विपरीत 
वह  चाहे जो भी हो 


ज़िंदगियाँ उलझन में हैं ... अनीता सैनी

कुछ लोग 
आँखों पर सफ़ेद पट्टी बाँधने लगे
और कहने लगे 
देखना हम इतिहास रचेंगे
शोहरत के एक और
पायदान पर क़दम रखेंगे


चाँद रोता रहा ...प्रीती श्री वास्तव

जब भी ख्यालों में आया मेरे तू सनम।
सांस रुकती रही दिल धड़कता रहा।।

नाम लिख लिख के जागा किये रात भर।
रात ढलती रही चाँद रोता रहा।।



उलूक साहित्य का पन्ना

जरूरी प्रश्नों के
कुछ उत्तर कभी
अपने भी बना कर भीड़ में फैलाओ

लिखना कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है
नजर रखा करो लिखे पर

कुछ नोट खर्च करो
किताब के कुछ पन्ने ही हो जाओ

‘उलूक’
चैन की बंसी बजानी है
अगर इस जमाने में

पागल हो गया है की खबर बनाओ
जमाने को पागल बनाओ।
...
बस
कल फिर
सादर



9 comments:

  1. 'उलूक' की बकबक को साहित्य ना कहें। बकवास रहने दें :) आभारी है 'उलूक' पन्ने पर आज के जगह देने के लिये यशोदा जी।

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  2. बेहतरीन अंक,
    सादर..

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  3. सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए सादर आभार।
    मेरा नाम अनीता सियानी...! पटल पर अपनी रचना के साथ देखकर हँसी आई। मेरा सरनेम तो सैनी है, हाँ सियानी नहीं थोड़ी सयानी ज़रुर हूँ !
    सादर.

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    1. अब सही कर दिए हैं
      थोड़ी मुस्कान चाहिए थी
      चेहरे पर..
      आभार..

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    2. जी दी सादर प्रणाम बहुत अच्छा लगा।😘

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  4. सराहनीय प्रस्तुति । ब्लॉगर साथियों की बेहतरीन रचनाओं को आपने साझा किया है। आपने मुझे भी जगहदी है। हार्दिक आभार ।

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  5. बेहतरीन प्रस्तुति

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  6. बेहतरीन प्रस्तुति

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  7. देर से आने के लिए खेद है, पठनीय रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुति ! आभार यशोदा जी !

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