Thursday, July 23, 2020

424 ...हाँ! यही तो प्यार है

नमस्कार सभी को
सावन का दूसरा पखवाड़ा
उत्सवों का प्रारम्भ...
जुलाई का अंतिम सप्ताह
2020 का गमनारम्भ

आज का पिटारा खोलें.....
आज की पिन पोस्ट
बगल में अपना प्रारंभिक विद्यालय देख बाबुजी से पूछा- याद है बाबूजी !बचपन में आप रोज इसी विद्यालय में मुझे पढ़ने के लिए पहुँचाने आते थे ?
बाबुजी ने रुआंसे से स्वर में कहा।हाँ बेटा ! और यह भी याद है कि यह वृद्धाआश्रम आश्रम पहले अनाथालय हुआ करता था।और इस अनाथालय से मैं और तुम्हारी माँ तुम्हें अपने साथ ले गए थे। जब यहाँ के सारे बच्चों को निःसंतान दम्पति ले गए तो यहाँ वृद्धाआश्रम चलाया जाने लगा।उस दिन मैं नहीं सोंचा था कि जिसे मैं यहाँ से निकालकर प्यार से पाल-पोष कर, पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाऊँगा,वह एक दिन मुझे यूँ अनाथों की तरह मेरे घर से निकालकर यहीं पहुँचा  देगा।


भीड़ देख अझुरायल हउवा?
भाँग छान बहुरायल हउवा?

बुधिया जरल बीज से घायल
कइसे कही कि सावन आयल!

पुरूब नीला, पच्छुम पीयर
नीम अशोक पीपल भी पीयर



घन गरजे चपला चमके
नभ से छम-छम जल बरसे
गाये मस्त पवन मल्हार
मधुश्रावणी का त्योहार....
पावस की प्यारी रातें
करती चंचल उर गातें
दृग में कोमल मनुहार


मेरी लिखावटों के पीछे 
दरार है 
मेरी लिखावटों के पीछे दरार है 
हाथ काँपते हैं मेरे 
तेरा नाम लिखने से 
हाँ! यही तो प्यार है। 

काले मेघा घिर-घिर आये.....
बिन बरसे मत जाना
रात है काली  दिल में उदासी 
नैना बरसे मत जाना।।

सोंधी मिट्टी इत्र सम महके 
तेरे आने से खुशिया बरसे
ताल ,तलैयों के दिन फिर आये
नदिया हर्षे मत जाना।।
.....
एक गीत सुनिए
धीरे-धीरे मचल ऐ दिल-ए-बेकरार

सादर

5 comments:

  1. व्वाहहहहह....
    सादर...

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  2. बहुत बहुत प्यारा संकलन

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  3. सुन्दर संकलन,हमारी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।

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  4. सुंदर रचनाओं से सुसज्जित मन भावन प्रस्तुति।सभी रचनाएँ सुंदर।

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  5. सुंदर प्रस्तुति है।

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