Monday, September 30, 2019

130...हर पुरानी चीज़ से अनुबन्ध है.....

स्नेहाभिवादन !
'सांध्य दैनिक मुखरित मौन" में  सभी रचनाकारों और पाठकों का हार्दिक स्वागत एवं नवरात्र पर्व की शुभ कामनाएँ…
माँ भगवती से अरदास कि बिहार व उत्तर प्रदेश की अतिवृष्टि से रक्षा करें पटना का जनजीवन सामान्य 
हो । आज की प्रस्तुति में पेश हैं कुछ चयनित सूत्र ---


जग के कोलाहल से विलग
है उनकी अपनी एक दुनिया 
मौन की अभेद्य परतों में 
अबोले शब्दों के गूढ़ भाव
अक़्सर चाहकर भी 
संप्रेषित कर नहीं पाते
मूक-बधिर ... बस 
देखकर,सूँघकर, स्पर्श कर
महसूस करते हैं जीवन-स्पन्दन
मानव मन के शब्दों वाले
विचारों के विविध रुपों से
सदा अनभिज्ञ ...बस 
पढ़ पाते हैं आँखों में

हर पुरानी चीज़ से अनुबन्ध है      
पर घड़ी से ख़ास ही सम्बन्ध है
रूई के तकिये, रज़ाई, चादरें    
खेस है जिसमें के माँ की गन्ध है
ताम्बे के बर्तन, कलेंडर, फोटुएँ
जंग लगी छर्रों की इक बन्दूक है
घर मेरा टूटा ...

मैं मन ही मन सोचने लगी कि प्रतिमा ने कितनी सहजता से कह दिया कि मैं भी बराबरी का कमाती हूं। कमाती तो मैं भी हूं। लेकिन मेरे पति की नजरों में मैं डॉक्टर होने के पहले एक औरत हूं और उनकी बीवी हूं...जिसकी हैसियत उनके सामने कुछ भी नहीं! डॉक्टर होने से मेरी औरत वाली हैसियत नहीं बदलने वाली! इसलिए एक डॉक्टर होने के बावजूद मुझे अपने पति से इज्जत नहीं मिलती! 
कुछ दूरी पर खड़ी होकर हमारी ओर देख रही प्रतिमा को मेरे मान-सम्मान की असलियत पता चल गई थी। वो मेरा दर्द समझ चुकी थी। सच में, दर्द का रिश्ता तुरंत बन जाता हैं और ये रिश्ता बहुत मजबूत भी होता हैं।

जीवन सागर की लहरों सा
हर लहर ,कदम इक साज है,
कभी शांत,कभी उथल पुथल,
हौसले परवाज हैं....

बाधाओं को हँस कर गले लगाते,
जब तूफाँ में डूब रहा जहाज है ,
उनके ही सर पर ताज है ,
जिनके हौसले परवाज हैं ....

साफ
कहना है

कहने से
कोई परहेज
होना भी नहीं है

बात
अपनी
खुद की

जरा
सा भी
कहीं
करनी भी
नहीं है

थोड़े से
मतभेद
से केवल

अब
कहीं कुछ
होता भी नहीं है

पूरा 
कर लें मनभेद 
इस से
अच्छा माहौल

आगे
होना भी नहीं है

★★★★★

इजाजत दें... फिर मिलेंगे..
 शुभ संध्या
🙏
"मीना भारद्वाज"


8 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति। आभार मीना जी।

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  2. व्वाहहहह..
    बेहतरीन प्रस्तुति...
    सादर.।

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  3. बहुत सुंदर भूमिका के साथ सुंदर सूत्रों का सराहनीय संकलन है मीना दी। सभी रचनाएँ सराहनीय है।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।

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  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर भुमिका सभी रचनाएं बहुत सुंदर। रचनाकारों को बधाई।

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  5. बहुत सुंदर संकलन।सभी रचनाएँ बेहतरीन।

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  6. खूबसूरत प्रस्तुति मीना जी ।

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  7. सुन्दर भूमिका और रोचक संकलन ...
    आभार मेरी रचना को शमिल करने के लिए ...

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  8. मुखरित मौन परिवार के सभी सदस्यों को पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ! माँ का आशीर्वाद सभी पर बना रहे

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