Friday, September 6, 2019

106..साफ करना है, बहुत सारा इतिहास है

सादर अभिवादन
सितम्बर का छठा दिन
समझ लीजिए चला गया
सितम्बर भी..इन्तजार करिए
अक्टूबर का..काफी सारी घटनाएँ होंगी
अक्टूबर में....100-250 ग्राम के
परमाणुबम गिराएगा पाकिस्तान..
जेब में रखकर निकलेगा..
आतुर है पाकिस्तान तिरंगा देखने के लिए
इस्लामाबाद में....आमीन...
इतनी बकवास काफी है...


चलिए चलें रचनाओं की ओर....


सुनो प्रेम ...अरुण साथी

सुनो प्रेम 
अब तुम इस 
पार मत आना 
चाँद के उस पार 
ही अपना घर बसाना 
इस पार तो अब 
बसेरा है नफरत का..

"नैध्रुवा"..... विभारानी श्रीवास्तव 'दंतमुक्ता'

"क्या मौसी? आप भी न! इतने एलईडी टॉर्च/छोटे-छोटे बल्ब की रौशनी में आपको अंधेरा नजर आ रहा है!"अपने हाथ में पकड़े जाल को बटोरती रीना बेहद खुश थी।
"वाहः! तुमने सच कहा इस ओर तो मेरा ध्यान ही नहीं गया.., यूँ यह भी कह सकती हो कि अमावस्या की रात है और हम नभ में तारों के बीच सैर कर रहे हैं। 

आचरण का मापदण्ड ....सुबोध सिन्हा 

" हाँ .. सनकिये गया है ... एकदम से ... सच में । 
याद है आपको ...  उस दिन उ विदेसीन मेमिन ( विदेशी महिला )  
को रास्ता में छेड़ रहा था टपोरियन सब। 
लपलपा रहा था ओकरा (उन) सब का मन गोरकी चमड़ी 
उनकर (उनका) हाफ पैंट और 'बन्हकट्टी' (sleeveless) 
कुर्ती में देख कर। तअ (तो) उ सब से लड़-भीड़ के 
ओकरा होटल तक इज़्ज़त से पहुँचा दिए थे ना !? 
आप केतना (कितना) खुश थे ...
जब उ 'पां'  (पांच) सौ रुपइया (रुपया) 
अलग से दीं थीं खुश हो कर और 
'थैंक यू' अंग्रेजी में बोली थी। 
आप भी तअ अंग्रेजीए में 'वेलकम' बोले थे। 

हमरूह ...... मुदिता

आ जाते हो ख़्वाब में 
बन कर सच 
हक़ीक़त से भी ज़्यादा 
उतर के वजूद में 
मेरे दिला देते हो यकीन 

‘उलूक’ टाईम्स से

किताबों
के नीचे
दबी है 
खुद
की है किताब है 

श्याम पट
काला है
सफेद है 
चॉक है 
खाली है  कक्षा है 
बस
थोड़ी सी
उदास है
....
बस यहीं तक गिनती सिखाई गई है
एक से पाँच तक...
सादर
यशोदा..


10 comments:

  1. सुन्दर मुखरित मौन प्रस्तुति। आभार यशोदा जी।

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  2. बेहतरीन...
    सादर..

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  3. शुभ संध्या , सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटकी बहना
    उम्दा लिंक्स चयन

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  4. प्रेम
    अब तुम इस
    पार मत आना
    चाँद के उस पार
    ही अपना घर बसाना...

    सच कहा आपने ..चाँद के उस पार मेरा भी प्रेम छिपा है.. वह मेरी प्यारी माँ..
    इस पार तो सिर्फ धोखा है, छल है, वेदना है और तिरस्कार भी..।
    कितनी सुंदर रचना लिखी आपने.. सादर।
    आभार यशोदी, इस प्रस्तुति के लिये ...परंतु अब कोई युद्ध नहीं हो , अतः नफरत दूर करने का प्रयास हो..।

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  5. यशोदा जी नमस्कार ! आज के सुन्दर संकलन के साथ मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक आभार आपका ...आपकी पारखी नज़र को पुनः नमन ...

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