Sunday, September 29, 2019

129 ..कमी न तुममें थी न मुझमें थी

सर्व प्रथम नमन
माँ शैलपुत्री को

आज महाराजा अग्रसेन की जयन्ती है
शत शत नमन

चलिए चलते हैं आज की रचनाओँ की ओर...

कमी न तुममें थी
न मुझमें थी,
और शायद कमी तुझमें भी थी,
मुझमें भी थी ...
कटु शब्द तुमने भी कहे,
हमने भी कहे,
मेरी नज़रों से तुम गलत थे,
तुम्हारी नज़रों से हम !


तरह -तरह के ज्ञानियों
की भीड़ जहाँ
एक अकेला
मैं अज्ञानी !
किसम -किसम के
ज्ञान की बातें सुन -सुन कर
होती हैरानी !


Tum wapas aa jao na
अब तेरे खयालों की खुशबू 
दरवाजे से नहीं आती। 
जब से तुमने मुझसे 
दूरी बनायी है 
तब से तुम्हारे खयाल 
कम आते हैं। 
दरवाजों से नहीं दरीचों से आते हैं।


बीत गया जो बस सपना था
यूँ ही बोझ लिए फिरते हैं,
एक दिवस सब कुछ बदलेगा
झूठी आस किया करते हैं !

आज अब बस
उत्सव है शाम को
तैय्यारी करनी है
सादर



5 comments:

  1. अग्रसेन जयन्ती की शुभकामनाएं
    सादर..

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  2. अग्रसेन जयन्ती की शुभकामनाएं।

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  3. सुंदर प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

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  4. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति । अग्रसेन जयन्ती और नवरात्र पर्व की शुभकामनाएं ।

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