Saturday, July 27, 2019

65..सब कुछ डुबो कर भी जी नहीं भरा तुम्हारा

सादर अभिवादन
परसों के अंक में
अक्षम्य गलती हुई..
रचना चुने यहाँ के लिए
और सूचना चली गई
पाँच लिंकों का आनन्द के लिए
चलिए देर आयद दुरुस्त आयद
फूँक-फूँक कर कदम रखा है आज

आज की रचनाएँ.....

Image may contain: tree, plant, sky, house, outdoor and nature
सुन्दर गांव,सुन्दर घर-जहां हमारा बचपन गुजरा।सामने दोनों ओर 
वर्षा-बहार का पेड़,उससे नीचे कनेर का पेड़ तो आप देख ही रहे हैं। जैसा कि मुझे याद है,इससे नीचे गेट के बिलकुल नजदीक दोनों ओर उड़हुल का पेड़ भी था। या फोटो बाद का है,तबतक किसी कारणवश पेड़ कट गया होगा।पीछे के बगीचे में तो फल-फूल देनेवाले बहुत सारे पेड़ थे।


Air, Sky, Cloud, Background, Clouds
बारिश,
सब कुछ डुबो कर भी
जी नहीं भरा तुम्हारा?
नरभक्षी कैसे हो गई तुम,
कैसी भूख है तुम्हारी?
क्या पानी से प्यास नहीं बुझी
कि खून भी पीने लगी तुम?


छोटी सी चिड़िया को जब मैनें देखा,
उसने अंडे से निकलते ही अपनी माँ को देखा |
जब उसकी माँ ने प्यार जताया,
उसने जैसे कोई जन्नत पाया |


सारी बस्ती तबाह है तुझसे ।
हुस्न तेरी बता रज़ा क्या है ।।

आसरा तोड़ शान से लेकिन ।
तू बता दे कि फायदा क्या है ।।

रिन्द के होश उड़ गए कैसे ।
रुख से चिलमन तेरा हटा क्या है ।।


आज जब
खड़ा होता हूँ
मौजूदा जीवन की सावनी फुहार में
झुलस जाता है
भीतर बसा पागलपन
जानता हूं
तुम भी झुलस जाती होगी
स्मृतियों की  
सावनी फुहार में--

आज अब बस
यशोदा

9 comments:

  1. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

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  2. सुन्दर सूत्रों से सजी लाजवाब प्रस्तुति ।

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  3. वाह !दी बेहतरीन प्रस्तुति 👌
    सादर

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  4. बिना सूचना पाये आयें और सूत्र को पायें ज्यादा खुशी होती है शायद आपको नहीं होती? सुन्दर प्रस्तुति।

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  5. होता है होता है.. बड़े-बड़े यज्ञों में छोटी-छोटी बाते हो जाती हैं.. उद्देश्य महत्वपूर्ण है बस

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  6. बहुत सुंदर और मोहक अंक ।सभी सामग्री पठनीय अप्रतिम।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

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  7. बहुत सुंदर संकलन

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  8. बहुत सुंदर संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मिलित करने का आभार
    सादर

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  9. बहुत खूबसूरत संकलन

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