सादर अभिवादन...
चलेगा कुछ दिन ऐसा ही
हम ही हम दिखेंगे
जैसे पाँच लिंकों का आनन्द में दिखे थे
लोग जुड़ते जा रहे हैं
कारवाँ तो बनेगा ही
चलिए देखिए आज की प्रकाशित रचनाएँ
हम ही हम दिखेंगे
जैसे पाँच लिंकों का आनन्द में दिखे थे
लोग जुड़ते जा रहे हैं
कारवाँ तो बनेगा ही
चलिए देखिए आज की प्रकाशित रचनाएँ
"जो बीड़ा उठाया है समाज का बुखार उतारने का वो खुद के लिये साधारण बुखार का बहाना कैसे बना सकता है
या समाज सेवा का बुखार उतर गया ?"
"ना दीदी! ना! हरारत बरसात का असर है...
एक भोरे से रात तक खड़े रहना , सब काम करना..,"
"सुनो! ज्यादा पैरवी नहीं करो...! जोखिम काम का
बीड़ा उठाई हैं तो इतना करना ही पड़ेगा... और अभी
बिना सहयोगी का कर रही हैं तो झेलना ही पड़ेगा..
छू कर, जरा सा... बस,
गुजर सी गई थी इक एहसास!
थम सा चुका था, ये वक्त,
किसी पर्वत सा, जड़! यथावत!
गुजरती ही नहीं थी, आँखो से वो तस्वीर,
निरर्थक थी सारी कोशिशें,
दूर कहीं जाने की, बस,
हर क्षण हर पल आदमी गहरी नींद में विश्राम करता,
स्वप्न के आकाश में फड़फड़ाता और
विचारों के बहाव में बहता हुआ ज़िंदगी जीता रहता है।
अपनी परिपूर्ण मानसिक अवस्था का
परिपूर्ण स्मरण रखनेवालों को ही
इस सच्चाई का एहसास होता रहा होगा।
ख़ुशियाँ उड़ें, जले यादों की आग में तन-मन
समझ न आए, ये इश्क़ भी है कैसी उलझन
न आने की बात वो ख़ुद कहकर गया है मुझसे
फिर भी छोड़े न दिल मेरा, उम्मीद का दामन
एक रात थी
बरसात की
चन्द लम्हों का सफर था वो
हमने तय किया उस सफर को
सदियों से लम्बा
आज के लिए बस
कल अनीता जी आएँगी
सादर
यशोदा
कल अनीता जी आएँगी
सादर
यशोदा
हर क्षण हर पल आदमी गहरी नींद में विश्राम करता,
ReplyDeleteस्वप्न के आकाश में फड़फड़ाता और
विचारों के बहाव में बहता हुआ ज़िंदगी जीता रहता
सुन्दर विषय..
सादर...
सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया अंक 👌
ReplyDeleteमुझे यहाँ स्थान देने के लिए आभार आपका सादर 🙏
वाह !दी जी बेहतरीन संकलन और प्रस्तुति का आरम्भ मन को छू गया|अब आप के साथ कभी कभी मैं भी नज़र आया करुँगी
ReplyDeleteसादर
अवश्य ही....
ReplyDeleteचलेगा कुछ ऐसा ही दिन
लोग जुड़ते जाएंगे
कारवाँ तो बनेगा ही...
यही विश्वास है कि हम लगातार उत्साहित और प्रेरित होते हैं श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम करने को। इस दुनियाँ के मध्य अपनी इक निराली दुनियाँ हो तो बात ही कुछ और हो जाती है। शुभकामनाएं ...
सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना...
ReplyDelete18 को भतीजी का जन्मदिन था
19-20 आयाम साहित्य का स्त्री स्वर का वार्षिकोत्सव
खाने में व्यस्तता कि पढ़ना छूट ही गया
आज आ गई