सादर अभिवादन
आज हमारी बारी
सांध्य दैनिक चल पड़ा
गलतियाँ हो रही है
और जायज भी है...
आज की चुनी रचनाएं आज ही प्रकाशित होनी है
और सूचना में तारीख कल की जा रही है
खास कर मुझसे तो नहीं होनी चाहिए...
पर हो गई...हमारे पाठक बहुत सहनशील हैं
चलिए देखिए आज क्या है...
आज हमारी बारी
सांध्य दैनिक चल पड़ा
गलतियाँ हो रही है
और जायज भी है...
आज की चुनी रचनाएं आज ही प्रकाशित होनी है
और सूचना में तारीख कल की जा रही है
खास कर मुझसे तो नहीं होनी चाहिए...
पर हो गई...हमारे पाठक बहुत सहनशील हैं
चलिए देखिए आज क्या है...
धरा ने आज देखो
स्वयंवर है रच्यो ।
चंद्रमल्लिका हार
सुशोभित सज्यो।
नव पल्लव नर्म उर
चूनर धानी रंग्यो।
विदाई, पल ये फिर आई,
बदरी सावन की, नयनन में छाई,
बूँदों से, ये गगरी भर आई,
रोके सकें कैसे, इन अँसुवन को,
ये लहर, ये भँवर खारेपन की,
रख देती हैं, झक-झोर!
"बिलकुल जुड़ जाना चाहिए...
तभी कुछ भ्रांतियाँ नष्ट होंगी।"
अदालिया ने कहा।
तभी कुछ भ्रांतियाँ नष्ट होंगी।"
अदालिया ने कहा।
"कानून बन चुका है,ऐसे बच्चे घर-परिवार से
दूर नहीं किए जाएंगे।" एर्मिना ने कहा।
दूर नहीं किए जाएंगे।" एर्मिना ने कहा।
"समाज भी साथ दे इसलिये तो यह आयोजन किया गया है,
"इलिना का कहना था।
"इलिना का कहना था।
"हर घर-परिवार-समाज में विभीषण होता है!
करोड़ों के उगाही का खपत कहाँ होगा..?"
करोड़ों के उगाही का खपत कहाँ होगा..?"
विशालकाय मानव के साथी ने कहा।
समस्याओं का सामना करो ।
विडंबनाओं से लोहा लो ।
गुरुदेव ने कहा,
और उतार दी नौका
भव सागर में ।
इससे पहले उन्होंने
सिर पर हाथ रखा
और हाथ में रख दी
सबसे बड़ी पूँजी
नारायण की चवन्नी ।
' ये क्या लिख भेजा ?'
' आपने क्या माँगा था?'
'यात्रा वृत्तांत के लिए कहा था।'
'हम्म '
' हम्म नहीं। यात्रा वृत्तांत भेजिए।'
' इस बार कहानी चला लीजिए।'
'बिलकुल नहीं।'
(इस ब्लॉग में कमेंट की पॉसिबिलिटी नही है)
एक जाने-माने अखबार की कतरन
बिना पढ़े
बस देखे देखे
रोज लिख देना
ठीक नहीं
कभी किसी दिन
थोड़ा सा
लिखने के लिये
कुछ पढ़ भी
लिया कर
सभी
लिख रहे हैं
सफेद पर
काले से काला
आज भी अतिक्रमण कर बैठी..
आज्ञा दें
यशोदा
(इस ब्लॉग में कमेंट की पॉसिबिलिटी नही है)
एक जाने-माने अखबार की कतरन
बिना पढ़े
बस देखे देखे
रोज लिख देना
ठीक नहीं
कभी किसी दिन
थोड़ा सा
लिखने के लिये
कुछ पढ़ भी
लिया कर
सभी
लिख रहे हैं
सफेद पर
काले से काला
आज भी अतिक्रमण कर बैठी..
आज्ञा दें
यशोदा
शुभ संध्या...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया..
सादर...
शाम का पोस्ट बहुत बढ़ियाँ है कहीं सुबह
ReplyDeleteहार्दिक आभार व सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना
बहुत सुन्दर संकलन ।
ReplyDeleteसुन्दर साँध्य मुखरित मौन प्रस्तुति। 'उलूक' अखबार को जनवाया मनवाया सब आपकी कृपा है आभारी है अखबारी :) खबर को जगह देने के लिये यशोदा जी।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteभीगी धरती भीगी नयन की कोर !
ReplyDeleteभीगी भावुक ह्रदय की कोर !
चटक शीर्षक भा गया !
पढ़ कर मज़ा आ गया !
बधाई सबको !
धन्यवाद सखी को !
बेहतरीन प्रस्तुति दी जी
ReplyDeleteसादर