दीदी का आदेश सिरोधार्य
आज हम हैं...
इकसठवाँ अंक लेकर...
पढ़िए आज की मिली-जुली रचनाएँ....
आज हम हैं...
इकसठवाँ अंक लेकर...
पढ़िए आज की मिली-जुली रचनाएँ....
जब भक्त भगवान से
मिलते हैं तो होता है इश्क़
जब राधा कृष्ण मिलते हैं
तो होता है इश्क़
★★★★★★
तारे हैं वहीं, ख्वाब सारे हैं वहीं,
ये सपन, हमारे हैं वहीं,
बहकी है ये कश्ती, अब सहारे हैं वहीं,
दुग्ध चाँदनी सी है रात,
ले, हाथों में हाथ,
संग मेरे, चाँद के पार चलो...
★★★★★★
सावन में हरियाली कैसे, वसुधा बूँद तरसती है,
सूखे खेतों को देख-देख, आँखे कृषक बरसती है।
हरी चूड़ियाँ कैसे खनके, रूठा बैठा साजन है,
मोर-पपीहा कैसे नाचे, सूखा-सूखा सावन है।
★★★★★★★
चाँद से हम भारतीयों की मुहब्बत की दास्ताँ बहुत पुरानी है
जो इतनी आसानी से जाने वाली नहीं! प्राचीन कवियों से लेकर
वर्तमान के ग़ज़लकारों, गीतकारों, चित्रकारों तक चाँद के
बिना किसी की बात न बनी! चाँद है तो ख़ूबसूरती है,
करवाचौथ का इश्क़ है, ईद का जश्न है. चाँद की
इतनी बातें हैं कि लगने लगा है -
"आधा है चंद्रमा रात आधी,
रह न जाए तेरी-मेरी बात आधी".
लेकिन एक-दो ऐसी भी चिड़िया है
जो जँगले पे
मेरे दिल के
घर बनाकर रहने लगी है
उन्हें उड़ाना भी नही बनता मुझसे
ना ही दाना खिलाना
अब और नहीं
दीदी ने पाँच लिंक ही कहा है
श्वेता
दीदी ने पाँच लिंक ही कहा है
श्वेता
व्वाहहहह...
ReplyDeleteअप्रतिम रचनाएँ..
स्वागतम्..
सादर...
बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुतीकरण छूटकी
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
ReplyDeleteसादर
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति श्वेता जी 👌👌
ReplyDeleteअति सुन्दर श्वेता
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteबेमिसाल प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...मेरी लिंक साझा करने के लिए आभार
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया अंक
ReplyDeleteउम्दा रचनाएँ
मुझे यहाँ जगह देने के लिए आभार आपका सादर 🙏
बहुत खूब ! पर यदि छूट मिल जाए तो कितने लिंक देंगी :-)
ReplyDeleteहा हा हा
Deleteआदरणीय गगन भाई...
ज्यादा से ज्यादा
सात लिंक....
पढ़ने में आनन्द भी आना चाहिए न
सादर...