जब पींगें बढ़ी मित्रता की
था फरवरी महीना,
पाकिस्तानी सेना को रास न आया
दो मुल्कों का अमन से जीना।
चलिए पढ़ते हैं करगिल दिवस की विशेष प्रस्तुति की ओर
कुछ रचनाएँ जो विशेषतः आज के दिन के लिए
शब्दबद्ध की गयी हैंं
जब पींगें बढ़ी मित्रता की
था फरवरी महीना,
पाकिस्तानी सेना को रास न आया
दो मुल्कों का अमन से जीना।
चलिए पढ़ते हैं करगिल दिवस की विशेष प्रस्तुति की ओर
कुछ रचनाएँ जो विशेषतः आज के दिन के लिए
शब्दबद्ध की गयी हैंं
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कैसी होंगी?
कारगिल दिवस(26 जुलाई)
वीर सपूतों के नाम
घर से दूर वतन के लिए प्राण न्योछावर
करने को हर पल तैयार
एक सैनिक मन ही मन अपने परिवार के लिए
कैसा महसूस करता होगा
इसे शब्द देने का मेरा छोटा सा प्रयास-
कोई भी राष्ट्र कितना भी शांति प्रिय क्यों ना हो ,
अपनी सीमाओं की हर
तरह से सुरक्षा करना उसका परम कर्तव्य है|
यदि कोई देश अपनी सुरक्षा में
जरा सी भी लापरवाही करता है
उसे पराधीन होते देर नहीं लगती |क्योंकि राष्ट्र की सीमाओं के पार बसे दूसरे राष्ट्र भी शांति प्रिय हों , ऐसा सदैव नहीं होता
उसे पराधीन होते देर नहीं लगती |क्योंकि राष्ट्र की सीमाओं के पार बसे दूसरे राष्ट्र भी शांति प्रिय हों , ऐसा सदैव नहीं होता
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फिर आओ आजाद
भारत को आजाद कराने
आज के दिन जन्मे आजाद
माता इनकी देवी जगरानी पिता थे
माता इनकी देवी जगरानी पिता थे
पंडित सीताराम
मध्य प्रदेश में जन्म लिया
रहने वाले थे
भाबरा गाँव
बचपन से ही दृढ़ निश्चयी
स्वाभिमानी बालक थे
आजाद देशभक्ति से ओतप्रोत थे
आजाद देशभक्ति से ओतप्रोत थे
दिल में क्रांति की ज्वाला थी
अंग्रेजों के गले की फांस बन गए
आजादी उनका जुनून बन गई आजाद
आजादी उनका जुनून बन गई आजाद
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कारगिल की यहीं कहानी
सिंधु की धारा में धुलता
'गरकौन' के गांव में।
था पलता एक नया 'याक'
उस चरवाहे की ठाँव में।
पलता ख्वाबों में अहर्निश,
उस चौपाये का ख्याल था।
सर्व समर्पित करने वाला,
वह 'ताशी नामोग्याल' था।
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जब पींगें बढ़ी मित्रता की
था फरवरी महीना,
पाकिस्तानी सेना को रास न आया
दो मुल्कों का अमन से जीना।
उधर धीरे-धीरे रच डाला
साज़िश मक्कारी का खेल,
साबित किया पाकिस्तान ने
साबित किया पाकिस्तान ने
कारगिल दिवस पर तुम्हारे आह्वान पर रची गयी सुंदर देशभक्ति से परिपूर्ण रचनाओं से ब्लॉग जगत गूँज रहा है अनु।
ReplyDeleteसबने बहुत सुंदर लिखा पूरे मन से सारी रचनाएँ बहुत सराहनीय है और अनु तुम सच में इस संयोजन के लिए बधाई की पात्र हो।
मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार अनु
शुभ संध्या..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति..
शहीदों को शत-शत नमन
सादर....
शहीदों को शत-शत नमन
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण
शहीदों को शत शत नमन ।
ReplyDeleteकारगिल दिवस के सम्मान में सुन्दर प्रस्तुति ।
तहे दिल से आभार प्रिय श्वेता दी |सुन्दर समीक्षा और अपार स्नेह के लिए|
ReplyDeleteकारगिल दिवस पर वीरों को श्रद्धा पूर्वक श्रद्धांजलि से ब्लॉग जगत गूँज उठा, मन को बहुत सुकून मिला |आप सभी से मन से सहयोग किया शब्द नहीं है इस ख़ुशी के लिए |मेरे शब्दों का मान रखने के लिए |तहे दिल से आभार सभी रचनाकारों|हमेशा ऐसे ही प्यार बांटते रहेगें |
सादर स्नेह
अमर वीर शहीदों को शत-शत नमन!!
ReplyDeleteहों अमर शहीद भारत के जन।
ReplyDeleteतुम सबको शत-शत बार नमन।
मुखरित मौन पर करगिल विजय दिवस की स्मृतियों को उत्कृष्ट रचनाओं के ज़रिये ताज़ा करने के लिये शुक्रिया। देशप्रेम की मोहक बयार सबको अनुभव हो। शहीदों को हमारा शत-शत नमन।
ReplyDeleteकार्गिक दिवस पर तुम्हारे आग्रह से सजी रचनाओं का दृश्य बहुत मनभावन है प्रिय अनिता | सभी ने अद्भुत लिखा है | सच है माँ भारती के वीर सपूतों के लिए कृतज्ञता ना हो तो हमें राष्ट्र के सच्चे नागरिक कहाने का कोई अधिकार नहीं |
ReplyDeleteदो शब्द शहीदों के नाम ---
वे भी किसी की आँखों का सपना
माता पिता के दुलारे थे
नन्हे बच्चों का संसार- सम्पूर्ण
बहनों के भाई प्यारे थे !
' जग में तेरा वैभव बना रहे
माँ दे अपना बलिदान चले ''
ये कहकर मिटे लाल माँ के
जो घर आंगन के उजियारे थे !
धुन थी ना झुके तिरंगा ,
तन जान भले ही मिट जाए ;
शत्रु ने लाख जतन किये -
पर ये दीवाने कब हारे थे ?
उनकी याद मिटादें जो ,
कहाँ हम सा कोई कृतघ्न होगा ?
उनकी क़ुर्बानी याद रहे ;
यही उनका पूजन -वन्दन होगा |
वीर शहीदों को कोटि कोटि नमन !
सभी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनायें और बधाई | तुम्हे विशेष बधाई और आभार |
नमन वीरों को।
ReplyDeleteजय हिंद, जय हिंद की सेना
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार प्रिय अनिता जी
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