Sunday, July 21, 2019

59...बन के अश्रु बूँद बह निकली...

सादर अभिवादन। 


मुखरित मौन के नवीनतम अंक के साथ आपका स्वागत है। पेश हैं आपकी सेवा में हाल ही 
में प्रकाशित चंद चुनिंदा रचनाएँ -


Image result for बछड़ा चित्र 

होती माँ  जो  आज  चाट कर  लाड जताती .
 होता   तनिक  भी दूर  जोर  से   बड़ा   रंभाती
स्नेह  से   पिलाती दूध  जरा    भूखा  जो  दिखता .
ममता  से रखती खूब  माँ  बनकर  इतराती ;




 

पृथ्वी की विषमता
मन की पीड़ा
तोड़ कूल किनारे
बन्द दृगों से
बन के अश्रु बूँद 
बह निकली



छोड़कर अपनी जरूरतें अधूरी
सब छलनी होकर बिखर जाता
जब बच्चों से मिलता धोखा
प्यार में यह कैसी मजबूरी
माँ-बाप से बढ़ जाती दूरी


मेरी फ़ोटो 

बारिश के मौसम में उफनती नदी को देखना ऐसा लगता है 
मानो किसी ईश्वरीय शक्ति का साक्षात्कार हो रहा हो  
रेनकोट पहनकर मैं तुरंत तैयार हो गई  
तेज बारिश हो रही थी। दस मिनट में हम 
पुल पर थे जिसके नीचे से उल्हास नदी अपने 
पूरे सौंदर्य और ऊर्जा के साथ 
प्रवाहमान हो रही थी


 
चंदेला राजवंश में जैन धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में थे. यहाँ जैन मंदिर भी बनाए गए थे. इन मंदिरों में उस समय के अभिलेख भी पाए गए हैं. 1858 में जैन मंदिरों के इर्द गिर्द एक परिसर बनाया गया और रखरखाव का काम भी शुरू हुआ. यहाँ एक म्यूजियम भी है जिसमें ऐतिहासिक अवशेष रखे हुए हैं. इन जैन मंदिरों में आजकल धर्म शिक्षा और पूजा अर्चना की जाती है. खजुराहो के अन्य हिन्दू मंदिरों में ऐसा नहीं है. अन्य मंदिरों की तरह यहाँ कामुक मूर्तियाँ नहीं हैं

अब आज्ञा दें 
मिलेंगे फिर अगले अंक में। 

रवीन्द्र सिंह यादव   

14 comments:

  1. सुस्वागतम रवींद्र जी मुखरित मौन पर आपकी पहली प्रस्तुति...आपकी रचनात्मक दृष्टि से चयनित सभी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं।
    बहुत सुंदर लिंक.संयोजन.. शुभकानाएँ स्वीकार करें।

    ReplyDelete
  2. बेहद खूबसूरत प्रस्तुति रविन्द्र जी ! सांध्य दैनिक मुखरित मौन के पटल पर आपकी प्रस्तुति देख कर हार्दिक प्रसन्नता हुई । मेरी रचना को संकलन मेंं स्थान देने के लिए हृदय से आभार । सादर...

    ReplyDelete
  3. व्वाहहहह...
    आभार..
    सु-स्वागतम्...
    श्रेष्ठ रचनाएँ पढ़वाई आपने..
    सादर

    ReplyDelete
  4. बहुत मार्मिक रचनाएँ चयनित
    साधुवाद

    ReplyDelete
  5. वाह सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  6. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सर, सभी लिंक शानदार है
    सादर

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति, शानदार लिंक संयोजन।

    ReplyDelete
  8. सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय रवीन्द्र जी।

    ReplyDelete
  9. सुंदर प्रस्तुति आदरणीय रवीन्द्र जी | आज पहली बार इस मंच पर अपनी रचना को पाकर अच्छा लग रहा है | मुखरित मौन मंच और आपको आभार | सभी प्रस्तुतियां लाजवाब हैं | सभी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनायें | सादर -

    ReplyDelete
  10. आपकी पहली प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें रवीन्द्र जी |

    ReplyDelete
  11. शुभकामनाएं रविन्द्र !
    'खजुराहो के जैन मंदिर' को शामिल करने के लिए धन्यवाद.

    ReplyDelete
  12. वाह बहुत अच्छा ।

    ReplyDelete
  13. शुभकामनायें रवीन्द्र जी !

    ReplyDelete
  14. सुन्दर संग्रह ..

    ReplyDelete