सादर अभिवादन !
मौसम बारिश का है ,
यदि समयानुसार बरसात होती रहे तो
हमारे देश का किसान भी सुनहले सुख संसार की
कल्पना साकार होने के स्वप्न संजोता चिन्ता मुक्त हो
रिमझिम फुहारों का आनन्द
एक चाय की प्याली के साथ ले सकता है ।
भूमिपुत्रों के स्वप्न पूरे हो इसी कामना के साथ
सुबह की चाय के साथ आनन्द लीजिए
"मुखरित मौन" की अड़तालीसवें साप्ताहिक संकलन के साथ ….,
यदि समयानुसार बरसात होती रहे तो
हमारे देश का किसान भी सुनहले सुख संसार की
कल्पना साकार होने के स्वप्न संजोता चिन्ता मुक्त हो
रिमझिम फुहारों का आनन्द
एक चाय की प्याली के साथ ले सकता है ।
भूमिपुत्रों के स्वप्न पूरे हो इसी कामना के साथ
सुबह की चाय के साथ आनन्द लीजिए
"मुखरित मौन" की अड़तालीसवें साप्ताहिक संकलन के साथ ….,
''घाघ'' जहां खेती, नीति एवं स्वास्थ्य से जुड़ी कहावतों के लिए
विख्यात हैं, वहीं ''भड्डरी'' की रचनाएं वर्षा, ज्योतिष और
आचार-विचार से विशेष रूप से संबद्ध हैं।
घाघ के समान ही लोकजीवन से संबंधित कहावतों में
कही गई भड्डरी की भविष्यवाणियां भी बहुत प्रसिद्ध हैं।
दोनों समकालीन तो हैं साथ ही यह समानता भी है कि
घाघ की तरह भड्डरी का जीवन वृतांत भी निर्विवाद नहीं है।
अनेकानेक किंवदंतियां दोनों के साथ जुडी हुई हैं।
विख्यात हैं, वहीं ''भड्डरी'' की रचनाएं वर्षा, ज्योतिष और
आचार-विचार से विशेष रूप से संबद्ध हैं।
घाघ के समान ही लोकजीवन से संबंधित कहावतों में
कही गई भड्डरी की भविष्यवाणियां भी बहुत प्रसिद्ध हैं।
दोनों समकालीन तो हैं साथ ही यह समानता भी है कि
घाघ की तरह भड्डरी का जीवन वृतांत भी निर्विवाद नहीं है।
अनेकानेक किंवदंतियां दोनों के साथ जुडी हुई हैं।
सूर्योदय भी नहीं हुआ
सोता रहा घर-परिवार
खनक उठी चूड़ियाँ
छनक उठी पायल
लगी बुहारने आँगन-ड्योढ़ी
उपले-कंडे लीपापोती
रंगोली से रंगी ड्योढ़ी
ऊषा की लालिमा छाई
रसोई से बघार की खुशबू आई
तुम्हारी कविता में
खुश्बू है, फूल हैं
पत्तियां, टहनी भी
एक माली है
जो करीने से संवारता है
शब्दों के नन्हे पौधे
देता है भावों की खाद
उखाड़ फेंकता है
अनचाहे विचारों की
खरपतवार…
दुनियाँ में कोई निस्वार्थ नहीं है सब कही न कही,
किसी न किसी स्वार्थ से बंधे है। फर्क इतना है कि -किसी को
सिर्फ और सिर्फ सब से पाने की चाह होती है देने की नहीं
और किसी को सिर्फ थोड़ी सी "परवाह" की चाहत होती है।
आराधना ने अपने मन को समझाया कि -तुमने जो किया
वो तुम्हारा "धर्म" था जो लोगो ने किया वो उनका "कर्म"है
तो फिर दुःख किस बात की।तुम अपना धर्म निभाती रहो ,बस।
किसी शायर ने कहा है -
किसी की मुस्कुराहटो पे हो निसार ,
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार ,
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार ,
जीना इसी का नाम है।
किसी न किसी स्वार्थ से बंधे है। फर्क इतना है कि -किसी को
सिर्फ और सिर्फ सब से पाने की चाह होती है देने की नहीं
और किसी को सिर्फ थोड़ी सी "परवाह" की चाहत होती है।
आराधना ने अपने मन को समझाया कि -तुमने जो किया
वो तुम्हारा "धर्म" था जो लोगो ने किया वो उनका "कर्म"है
तो फिर दुःख किस बात की।तुम अपना धर्म निभाती रहो ,बस।
किसी शायर ने कहा है -
किसी की मुस्कुराहटो पे हो निसार ,
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार ,
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार ,
जीना इसी का नाम है।
सपनों सी फुलवारी
मंजिल की झलक दिखे,
पलने ही देना मन
नयनों में चमक जगे !
लौटेंगे किसी दिन
स्वेद बिंदु, मोती बन,
राह में गिरे थे जो
माटी मे गए सन!
दम्भ तृष्णा ना दिमाग रोगग्रस्त करो।
गुम रहकर खल का तम परास्त करो।
दे साक्ष्य सपना चपला धीर अचला है,
स्व का मान बढ़ा रब को विश्वस्त करो।
साक्षरता का अपना ही एक उद्देश्य है
लिखना-पढ़ना ऐसे
जैसे जला दिया हो किसी ने
ज्ञान का दीपक
अंधकार मिटाने को
शिक्षा की अलख जगाने को हर हाथ में कलम थमा
मन को जागरूक बनाने को एक संकल्प लिया है
******************
इजाजत दें
🙏
🙏
मीना भारद्वाज
शुभ प्रभात..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति..
घाघ-भड्डरी की पूर्वानुमान की अवहेलना कर ही नही सकते....
आभार..
सादर..
घाघ-भड्डरी की एक भविष्यवाणी को परखिए
ReplyDeleteसावन पहिले पाख में,
दसमी रोहिनी होय।
महंग नाज अरु स्वल्प जल,
विरला विलसै कोय।।
सादर..
सस्नेहाशीष संग हार्दिक आभार बहना
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण
बहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार मीना जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सराहनीय लिंकों से सजी सार्थक प्रस्तुति मीना दी��
ReplyDeleteरचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार
ReplyDeleteसुंदर लिंक संयोजन के लिए बधाई। हमारी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌
ReplyDeleteसादर