सादर अभिवादन!
ब्लॉग एग्रीगेटरस् की संचालिका और कुशल चर्चाकार
आदरणीया यशोदा अग्रवाल जी ब्लॉग जगत की लोकप्रिय हस्ती हैं । साहित्य पटल पर उनका योगदान सर्वविदित है अपनी लेखनी से
निसृत विचारोत्तेजक हृदयस्पर्शी रचनाओं का संग्रहण वे
"मन की उपज" के नाम से अपने ब्लॉग "धरोहर" में करती हैं ।
उनके द्वारा रचित कुछ रचनाओं के सूत्र आज की साप्ताहिक प्रस्तुति में---
शब्दों के खेत' में
आओ खामोशियों को बोएँ
तितलियों के पंखो को
सपनो की जादुई छड़ी से
सहलाएं....
एक और शाम
उतर आयी आँखों में
भर गयी नम किरणें
खुला यादों का पिटारा...
भीग गयी पलकें
फैलकर उदासी
धुंधला गयी चाँद को
झोंका सर्द हवा का
लिपटकर तन से
आज की चाहतें और है
कल की ख़्वाहिशें और हैं
जो जीते है ज़िंदगी के पल-पल को
उसके लिये ज़िंदगी के मायने और है
हसरतें कुछ और हैं
वक़्त की इल्तज़ा कुछ और है
हासिल कुछ हो न हो
उम्र का फलसफ़ा कुछ और है
भाषा न तो
मौन है
न ही मौन है ज्ञान
एक पहचान है
भाषा..जो
पहुंच रखती है
अपने साथ
पूर्ण रूप से
हमारे मन तक
हो रहे
पात पीत
सिकुड़ी सी
रात रीत
ठिठुरन भी
गई बीत
गा रहे सब
बसंत गीत
भरी है
मादकता
तन-मन-उपवन मे.
समय होता
यहीं व्यतीत
विडम्बना
यही है की
स्वतंत्र भारत में
नारी का
बाजारीकरण किया जा रहा है,
प्रसाधन की गुलामी,
कामुक समप्रेषण
और विज्ञापनों के जरिये
उसका..........
व्यावसायिक उपयोग
किया जा रहा है.
राहें नई..
आयाम नया
हुई विधा नयी
पर कलम वही...
अनुभव नए
शब्द नए
दर्द भी नया
पर कलम वही...
***********
अब इजाजत दें.. फिर मिलेंगे
🙏🙏
🙏🙏
मीना भारद्वाज
शुभ प्रभात..
ReplyDeleteक्या वो सच में वैसी ही है
जैसा आपने लिखा...
हमने उसे आज तक जैसी वह है वैसी देखा
अब आपकी नज़रों से देखेंगे..
सादर..
आप उनके साथ रहते हैं.... हो सकता है मेरी नजरों से ज्यादा अच्छी हों । सादर आभार आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए🙏🙏
Deleteछोटी बहना अद्धभुत हैं
ReplyDeleteउम्दा लिंक्स चयन
सुप्रभात ।बहुत सुंदर प्रस्तुति दी हैं मीनाजी ।बेहतरीन लिंक
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रयास।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति 👌
ReplyDeleteकिसी परिचय का मोहताज़ नहीं।
ReplyDeleteपाँच लिंक का बीजारोपण करने वाली
स्नेही, सहृदय हमारी यशोदा दी.उनकी लेखनी से फूटी रचनाएँ भी उन्हीं की भाँति सराहनीय है।
बहुत शानदार प्रस्तुति मीना जी। यशोदा जी की इतनी प्यारी मन की उपज को फिर से पढ़वा दिया सभी अनुपम रचनाओं का सुंदर संकलन।
ReplyDeleteसुंदर मुखरित मौन।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण अंक प्रिय मीना जी | धरोहर यशोदा जी के बहुमुखी व्यक्तित्व का आईना है | जहाँ जीवन के अनुभव में पगी उनकी मर्मस्पर्शी रचनाएँ शोभायमान हैं | ब्लॉग जगत में उनकी हस्ती किसी परिचय की मोहताज नहीं | वे उस बटवृक्ष सरीखी हैं जहाँ नये रचनाकार अपनी रचनाओं को विस्तार देते स्नेहिल छाँव पाते हैं | यशोदा दीदी को बधाई और शुभकामनायें इस दिवस विशेष के लिए | उनकी अहिल्या पर रचना मुझे बहुत पसंद है बाकि सभी रचनाएँ भी बेहतरीन हैं | सार्थक अंक के कुशल संयोजन के लिए आपको सस्नेह बधाई |
ReplyDelete"धरोहर"वस्तुतः भावों का धरोहर है इक आईना है जो आनेवाले समय के सभी नव कवियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय दीदी...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुती
ReplyDeleteउम्दा लिंक्स चयन
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