प्यारा सा अंक
सादर अभिवादन
सादर अभिवादन
शुरू करिए पढ़ना इस रचना के साथ
बीबी जी हमारा कैसे काम चलेगा,
यदि आप हमसे झाड़ू पोंछ ही लगवाएंगे।
अब हमसे देखा नही जाता,
आखिर कब तक साहब से बर्तन मंजवाएंगे।
पत्नी ने हालात को फ़ौरन संभाल लिया,
और अगले ही दिन कामवाली को,
झाड़ू पोंछे के काम से भी निकाल दिया।
...
अब नियमित अंक
...
अब नियमित अंक
प्रभु तेरा साथ चाहिये
जीवन की सौगात चाहिए
हंसते हंसते दम निकले
ऐसा तेरा अनुराग चाहिए।।
कलुषता मिटा सके इंसान की
ऐसा मुझे वरदान चाहिए।
गंगा सा पावन मन हो सके
ऐसा निर्मल संस्कार चाहिए।।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhBcZmlZi7slI5rE4OjNmtA8hFOqg22csx0JWyS9GSU4FyFkvYQXVx58Ox3dYR42xLjislxf9wVNwyKS0AeJ6pYog3h0xaWP9CMMJrG2xiL9-MO0tbqz6AE2e2kTUKwCl4aQBFgTUcDOyg/s320/IMG_20200718_144812.jpg)
बीज रोपे हैं तुम्हारे मन की
उर्वर क्यारी में उसपर
फूटेंग मानवीय गुणों के
पराग से लिपटे
सुवासित पुष्प,
मेरे आशीष
मेरे अंतर्मन की
शुभ प्रार्थनाओं और
कर्म की ज्योति
प्रतिबिंबित होकर
पथ-प्रदर्शक बनकर
आजीवन तुम्हारे
साथ रहेंगे।
![Night shayari and poem](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhT7tQY3R2qxBTvSrbaVsZZ4Rld8NnljFypSZzK9lX152uXVI-Jgg11T2dXNl1w37W8sjoBos6diTi7qMllzn7WHDPivRZ9jVm5-ShYGWze_vtSEydO417tfjbFWqG63DGKR5KwxiElFMo/w344-h400/photostudio_1595097552158.png)
कुछ दिन की बातें
कुछ रात के तराने
मैंने लिखे अपने
हालात के अफ़साने
तुम्हें फुर्सत मिले तो
कभी पढ़ भी लेना
कैसे हुए थे हम
तेरे इश्क़ में दिवाने।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbBaV_-qK10i3SDq6r3ooVNhrCPzQ01EBzt4Ce_ABiRZ5SCH6x3nYqczs9-qu__Kp6VUb4OoAjcHPGYLIlF3faOpy8avrv6czLMpwR9tE0-PFgddj5THZ2MuB_GPO6f4Y9CyZNC9DyKhM/s320/IMG_20200716_131521.jpg)
बारिश की फुहारें ने
निशा को छुआ तो लगा
जैसे कोई बोझ मन से उतरने लगा
था....कितना खूबसूरत मौसम
है ना निशा, जी भरके भीग लो आज,
सारे दर्द धुल जाएंगे,
ज़िंदगी हँसकर कर जिओ।
"ये पल न मिलेंगे दुबारा"!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjhQgXGPsPpgRjQ0TAS6JgCmctEX7Dzs8r84wgLKdLywbX2gjOcKHCvN9cL38YQBqvWlUT2fHIof7TYGnylW1N643N3WccugUnT2ZHbaJWwmyaVeKn5MpxtwrlZ2PcrqviZkq3Fkt-vAkA/s320/unnamed.jpg)
लिखना कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है
नजर रखा करो लिखे पर
कुछ नोट खर्च करो
किताब के कुछ पन्ने ही हो जाओ
‘उलूक’
चैन की बंसी बजानी है
अगर इस जमाने में
पागल हो गया है की खबर बनाओ
जमाने को पागल बनाओ।
और अंत में
एक ग़ुज़ारिश
और अंत में
एक ग़ुज़ारिश
चल ले चल हमें
उसी बचपन में
जहाँ न कोई जरूरी था
और ना ही..कोई
ज़रूरत थी
सादर..
सादर..
420 के दिन उलूक को जगह देने के लिये दिल से 420 आभार :)
ReplyDeleteऔर छोटी श्वेता के लिये ढेर सारा प्यार आशीर्वाद शुभकामनाएं उसके जन्मदिन पर साथ में।
ReplyDeleteप्रणाम सर,
Deleteआपसे शुभाशीष मिलना सौभाग्य है बिटुआ का। औपचारिक आभार कहना घृष्टता होगी।🙏🙏
आपका स्नेह और आशीर्वाद सदा बना रहे सर।
छोटी श्वेता यानी 'मनस्वी' भी सादर प्रणाम कह रही आपको:)🙏🙏
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteव्वाहहह...
ReplyDeleteहमारी परी बिटिया को बधाइयां..
बढ़िया अंक..
सादर..
आभारी हूँँ दिव्या जी।
Deleteस्नेहाशीष बना रहे बिटिया पर।
सोन चिरइया हमारी जुग-जुग जिए..
ReplyDeleteसादर..
आभारी हूँ सर।
Deleteस्नेहाशीष बना रहे बिटिया पर।
सादर।
बहुत सुंदर प्रस्तुति, नन्ही बिटिया को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया।
ReplyDeleteसभी रचनाएँ शानदार। मेरे पोस्ट को स्थान देने के लिए विशेष धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचनाओं का संकलन। हास्य पसंद करने और शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।
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