जय श्री गणेश
स्वागत, अभिनन्दन
...
मयखाना लिख
कुछ पीना लिख
कुछ पैमाना लिख
दिन हो गये कुछ नहीं लिखे
लिख ले किसी दिन सारा जमाना लिख
नियम लिखने लिखाने के रहने दे
बेखौफ लिख
लेखक एक दीवाना लिख
किस ने रोकना है लिखने लिखाने को
एक बन्दूक लिख
एक बंदर को डराना लिख
गलत है
बंद हो जाना कोटर में
मत पहन
एक रखा हुआ पैजामा लिख
अच्छा नहीं है कुछ नहीं लिखना
कुछ लिख
लिखने वालों का कुछ इतराना लिख
रहने दे मत लिख
कबूतर उड़ाने वालों की बात
लिख
एक कबूतरखाना लिख
लिखने लिखाने को लिख
धूप दिखा
धुएं धुएं में धुएं का धुआं हो जाना लिख
कहीं भी नहीं है जब
वो
जिसे जहां होना होता है
लिख हुआ
लिख हो रहा
लिख
कल के कुछ होने का
हो जाना लिख
‘उलूक’
फोड़ कुछ
फोड़ सकता है
होना कुछ भी नहीं है किसी से
कुछ फोड़ ले
बच गया कुछ
चोंच लड़ाना लिख
आज के लिए बस
कल से नियमित
सादर
गणेश चतुर्थी की बधाई और मंगलकामनाएं साथ में आभार बकबक-ए-उलूक को जगह देने के लिए|
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