सादर अभिवादन
क्षमा
आज कम्प्यूटर में कुछ समस्या है
क्षमा
आज कम्प्यूटर में कुछ समस्या है
पढ़ें लिखें बोले हिन्दी में हिन्दी का सम्मान करें
शिक्षा का माध्यम हो हिन्दी इसके लिए प्रयास करें !
ज्ञान बढाने के हित चाहे जितनी अन्य भाषा सीखें
लेकिन हिन्दी मातृभाषा है सर्वप्रथम इसको सीखें !
बीते वक्त को लौटाया नहीं जाता
अपनों की यादों को भुलाया नहीं जाता
घर आँगन की थी शोभा
नूपुर सी बजती रहती,
तुम से मेल युगों का मेरा
स्मृतियों में तुम रहती,
तुम थी मेरी रजनीगंधा।
नेह सिंचित किनारे भी, पल पल में मुस्काते थे।
मधुर स्नेह की बूंदे पाकर, मन ही मन इतराते थे।
कोई चेहरा उस हृदय को, हद से ज्यादा भाता था।
एक झलक पाते ही वो, दूर से दौड़ा आता था।
सादर
बहुत सुंदर संकलन .... मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी..
ReplyDeleteअरे वाह ! बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन आज के मुखरित मौन में ! मेरी रचना स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteसुंदर सार्थक रचनाओ का संकलन ।
ReplyDeleteसार्थक लिंको के साथ शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई।
सादर