सादर अभिवादन
विदा हुए गणेश
पितृ-सेवा जारी है....और
प्रतीक्षा भी कर रही हैं....आँखें
माता रानी के चरण दर्शन का....
उत्सव तो आते-जाते रहते हैं..पर
माता रानी जब आती हैं तो हज़ारों -हज़ार
मनोकामनाएं क्षण भर में पूरी हो जाती है
अब रचनाएँ देखें...
"शनिवार रात्रि 12 बजे तक ही प्रतियोगिता हेतु रचना पोस्ट करने की अनुमति थी...
रचना रविवार को पोस्ट हुई... और विजेता के लिए चयन कर ली गयी...
क्या आप चकित नहीं हो गयी..?"
इतने में नीना बॉस के केबिन में आकर बोली, “सर अगर हम यह प्रोजेक्ट अच्छे से हैंडल कर गए तो आगे से यह बहुराष्ट्रीय कंपनी भविष्य में सारे प्रोजेक्ट हमारी कंपनी को ही देगी, जिससे कंपनी का नाम मार्केट में तो होगा ही, इसके साथ– साथ अत्यंत आर्थिक लाभ भी मिलेगा।”
बड़ी मेहनत से कमाया
इच्छाओं पर अंकुश लगा
पाई-पाई कर बचाया
कुछ जरूरी जरूरतों के अलावा
नहीं की कभी मन की
न बच्चों को करने दी
बचपन से ही उन्हें
सर सहलाकर समझाया
और कमी-बेसियों के
संग ही पढाया-लिखाया।
माई बर फूल गजरा,
गुंथौं हो मालिन माई बर फूल गजरा।
चंपा फूल के गजरा, चमेली फूल के हार।
मोंगरा फूल के माथ मटुकिया, सोला ओ सिंगार।
महालया के दिन
पूरी प्रकृति माँ दुर्गा बन जाती है
कलश स्थापना करते हुए
मिट्टी में जौ मिलाते हुए
यूँ महसूस होता है कि
मैं मिट्टी से एकाकार हो रही हूं
और चतुर्थी से हरीतिमा लिए
नौ रूप का शुद्ध मंत्र बन जाती हूं ।
अखंड दीये का घृत बन
स्वयं में एक शक्ति बन जाती हूं ।
छंद-रसों से दूर कभी तो, काव्यालंकृत भावुक रेखा
कविता मन में सृजित नहीं हो, भ्रम में कवियों को भी देखा।
चंचल कलम, कभी तत्सम को, तद्भव से रेखांकित करती
चार शब्द लिखकर रुक जाती, मात्रा की संगणना करती।।
सादर
अप्रतिम संकलन , सुंदर रचनाओं का समावेश
ReplyDeleteबहुत सुंदर सराहनीय उत्कृष्ट रचनाओं से सजा संकलन,बहुत आभार आदरणीय दीदी 🙏।
ReplyDeleteअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार
ReplyDeleteश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
सादर नमन..
Deleteउम्दा लिंको से सजी लाजवाब प्रस्तुति
ReplyDeleteमेरी रचना को यहां स्थान देने के लिए तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार।
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।