सादर अभिवादन
कल भगवान विश्वकर्मा जी की जयन्ती है
करबद्ध नमन
मोबाईल भी एक मशीन है
कल दुग्धाभिषेक कर के पुष्प अर्पण के
प्रसाद का चित्र ऑनलाईन प्रेषित करें
कल दुग्धाभिषेक कर के पुष्प अर्पण के
प्रसाद का चित्र ऑनलाईन प्रेषित करें
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मैं सोचने लगी कहीं हिन्दी दिवस के अवसर पर ऐसे वीडियो प्रचारित करना हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के विरुद्ध यह अंग्रेजी परस्तों की साजिश तो नहीं? खैर छोड़िए कोई बात नहीं, मैं तो उनसे यही कहूँगी कि-
“छोड़ दो साजिशें तुम्हारी अब एक न चलेगी
हिन्दी है माथे की बिन्दी माथे पर ही सजेगी“
हर चाह नश्वर की होती है
शाश्वत को नहीं चाहा जा सकता
वह आधार है चाहने वाले का
हर याचक आकाश से उपजा है
और पृथ्वी की याचना करता है
जब तक जीवन है तुम जियो शान से
समझौता मत करो आत्मसम्मान से
अगर आत्मविश्वास हृदय में खास है
धीरज की पूंजी, जो तुम्हारे पास है
रखो हौसला ,लड़ लोगे तूफान से
समझौता मत करो आत्म सम्मान से
किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा, टूट के बरसा पानी
कोई मतवाली घटा थी कि जवानी की उमंग
जी बहा ले गया बरसात का पहला पानी
किसी राष्ट्र का
गौरव उसकी
आज़ादी है भाषा ,
अपने ही
कुल,खानदान ने
समझा इसे तमाशा,
पढ़ती रही
ग़ुलामों वाली
भाषा दिल्ली,काशी ।
बचपन ही से
सुनती आई हूं
आगे बढ़ने की बात ,
तो निश्चय ही
पीछे लौटना होता होगा
गलत या बुरा।
फिर फिर मैं लौट रही हूं
तीन-चार दशक पीछे,
सादर
बहुत सुंदर श्रृंखला,.. सम्मिलित करने के लिए बहुत-बहुत आभार 👃
ReplyDeleteबहुत अच्छी सांध्य दैनिक मुखरित मौन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार।
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