सादर अभिवादन
आज जन्म दिन है लता जी का
दीर्घायु हों यही कामना है
98 वर्षीय भारत रत्न लता मंगेशकर, एक ऐसा नाम जिसपर हर भारतवासी को गर्व है। संगीत की दुनिया में बेहद सम्मान के साथ इस नाम को लिया जाता है। भारत रत्न लता मंगेशकर की आवाज में जादू है, उनके अंदर ईश्वर प्रदत्त प्रतिभा है
सुनिए ये गीत..
सुनिए ये गीत..
जबकि पुस्तकालय में
खड़ा आदमी
खड़े-खड़े ही पहुँच गया
देश-दुनिया के
कोने-कोने में
आहटें हलकी थी इनके अल्फ़ाज़ों की l
दस्तक चुप चुप थी इनके हुँकारों की ll
फिरा ले उन्हें डाकिया हर गली गली l
मिला ना ठिकाना उसे किसी गली भी ll
मैं स्वप्न में एक स्त्री से मिला,
जो हुस्न-ए-अप्सरा लिए थी ,
जिसके केशों ने पग छुए थे उसके
और आँखों मे समुद्र समाया था।
सागर ने अपने गर्जन-तर्जन से
मुझको थोड़े शब्द दे दिये,
तट पर छोड़ गया जो सागर
चिकने पत्थर, कंकड़-सीपी
चुनकर उनको मैंने अपनी
अँजुरी भर ली;
उसने मुझको मुद्राएँ दीं
उच्चावच लहरों ने मुझको संज्ञाएँ दीं,
कहानियाँ लिखने का मन करता है ख़ूब। अपनी पसंद के कुछ लोगों से मिलने का भी। आख़िरी कहानी मन मलंग लिखी थी। कोई किरदार हो…ज़िंदा…मीठी आँखों वाला…कच्ची मुस्कान और मिट्टी का दिल लिए हुए आए मेरे शहर…और कहे आख़िर को, ऐसे दिल को तो टूट ही जाना चाहिए ना।
क्लोज़ करते हुए याद आ रहा है फ़ैज़ का शेर,
ऐसे ही, बेसलीके, बेतरतीबी से,
‘अपना ग़म था गवाही तेरे हुस्न की,
देख क़ायम रहे इस गवाही पे हम’।
मुझे दुःख हो कि पिछले दो अंक छूट गए
अब से शायद ही छूटे
सादर
इन बेहतरीन रचनाओं मे मेरी इस रचना को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार mam
ReplyDeleteज़बरदस्त रचनाओं का संकलन। शुभकामनाएँ।
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