Monday, July 19, 2021

704 ..बेकाबू हुआ उमंग भरा मन चलो नाचें -गायें बारिश में


सादर अभिवादन
ब्लॉग क्षितिज दो दिन पहले चौथी वर्षगाँठ सम्पन्न हुई
आज आपकी अदालत में उनके पिछले तीन वर्षों का पक्का चिट्ठा

96 फॉलोव्हर और 
69 हजार 760 पृष्ठ दृष्य
रेणु जी का सारा समय तो दिप्पणी लिखने में चला जाता है
यदि उनकी लिखी गई टिप्पणियों को कलमबद्ध किया जाए
कई रचनाएँ बन जाएगी
पढ़िए उनकी पहली रचना 2017 दिसंबर
अतल गहराइयों में  आत्मा की
जो  भरेगा उजास  नित नित  ,
गुजर जायेंगे   दिन महीने
आँखों से ना होगा ओझल  किंचित ;
हो ना जाऊं तनिक मैं विचलित
प्राणों में  अनत धीरज  भर देना तुम !!


दूसरी रचना ..दिसंबर 2018
आपकी 75वीं रचना है ये
जो हैं शब्दों से परे
एहसास जीने दो मुझे,
बन गया अभिमान मेरा  
विश्वास जीने दो मुझे ,
जोड़ नाता अतीत से
ना फिर मुझे  भरमाना तुम!

तीसरी रचना
नवंबर 2019
नवम्बर  को भारत  की सर्वोच्च न्यायालय    
द्वारा  दिए गये   ऐतहासिक निर्णय के लिए  
न्यायपालिका के सम्मान  में कुछ पंक्तियाँ

राम आराध्य जन- जन के
युगपुरुष चेतना के उत्तम,
जगहित दिया मर्यादित रामपथ   ,
हुये सृष्टि के    नायक   सर्वोत्तम  ;
रामराज्य  के रूप में जग जाना
राघव सरकार की शक्ति को !!

चौथी रचना..
बुधवार, 2 सितंबर 2020
घर आँगन तालाब बन गये  
छप्पकछैया   करें - जी  चाहे
उमड़ -घुमडते  भाते बादल
ठंडी  हवा तन -मन सिहराए
बेकाबू हुआ  उमंग भरा मन  
चलो नाचें -गायें बारिश में
चलो  नहायें बारिश में

ब्लॉग की तीसरी  वर्षगांठ पर  आज  सौवीं रचना के  साथ  ,
गुरुपूर्णिमा समीप ही है..24 जुलाई को
पाकर आत्मज्ञान बिसराया .
छल गयी मुझको जग की माया ;
मिथ्यासक्ति   में डूब  -डूब हुआ
अंतर्मन  बेहाल , गुरुवर ! 

....
कुम्भकर्णी नींद से उठा है आज मुखरित मौन
आपसे गुजारिश इसे दुबारा सोने नहीं देना
जिन्हें इच्छा हो अपने ब्लॉग के छः लिंक सम्पर्क फार्म द्वारा 
प्रेषित करें...
कल उम्मीद तो हरी है से
पांच रचनाएँ
सादर

38 comments:

  1. व्वाहहहह..
    पुराना सोना
    पढ़ना पड़ेगा
    सादर.

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    1. सादर आभार बड़े भैया 🙏🙏

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  2. वाह! ये तो अभिनव प्रयोग है सुंदर ।
    साधुवाद।
    बधाई रेणु बहन आदि आदित्य की तरह आप आभार बिखेर रही हैं।

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  3. आभा बिखेर रही हैं।

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  4. ये एक सुखद संयोग है रेणु बहन आपकी इन पांचों उत्कृष्ट रचनाओं में मैं प्रसंशक के रूप में मौजूद हूं।

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    1. निशब्द कर दिया आपके स्नेहिल उद्गारों ने प्रिय कुसुम बहन | आप सब के स्नेह और प्रोत्साहन का फल है 🙏🙏

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  5. आज की पाँचों रचनाएँ पढ़ीं ।
    बढ़िया प्रस्तुति ....
    1---
    समय साक्षी रहना तुम

    प्रवाहमय ये लेखन
    कभी नहीं छोड़ना तुम
    अपनी हर सोच को
    कलमबद्ध कर लेना तुम ।

    समय साक्षी रहना तुम 😄😄😄😄😄😄
    2-----

    प्रेम पगी सुंदर रचना । इतना प्रेम , इतना अनुराग कि जग से विरक्त हो गईं ।
    भाव पूर्ण अभिव्यक्ति
    3----
    समभाव भरी ये पुण्यधरा
    गीता भी जहाँ , क़ुरान भी है
    कुनबा ये वासुदेव का है,
    यहाँ राम है ,तो रहमान भी है,
    कभी ना आंको कम,
    इस परिवार की शक्ति को !

    ऐसी सोच काश हर भारतीय की हो । यहाँ तो सब अवसरवादी हैं अफवाहें फैला कर आपस में लड़वा देते हैं ।
    बहुत सुंदर सोच के साथ मन के भाव इस रचना में उतारे हैं ।बहुत खूब ।

    4 ----
    आज तो दिल्ली का मौसम भी ऐसा ही हो रहा है । बहुत बढ़िया । बचपन की याद दिला दी ।।
    5-----

    जिसकी गुरुओं पर अपार श्रद्धा हो उसे स्वयं ही आशीर्वाद मिल जाता है । सुंदर रचना , प्रार्थना ।
    शुभकामनाएँ

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    1. मेहनत सफल हुई..
      आज जगाई हूँ ,कोरोना का ख़ौफ़ ढीला पड़ रहा है,..
      आभार..
      सादर नमन..

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    2. प्रिय दीदी , आपकी प्रतिक्रियाओं और ब्लॉग भ्रमण ने लेखन को सार्थक कर दिया | आपका स्नेह अनमोल है |हार्दिक आभार और नमन |

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  6. 69 दजार को हजार कर लें। एक लम्बे समयान्तराल के बाद एक लाजवाब प्र्स्तुति।

    "रेणु जी का सारा समय तो दिप्पणी लिखने में चला जाता है
    यदि उनकी लिखी गई टिप्पणियों को कलमबद्ध किया जाए
    कई रचनाएँ बन जाएगी।"

    ये एक बहुत बडा गुण है रेणु जी का।

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    1. वाह सर,
      सहमत हैं हम भी आपके सटीक और उत्साहवर्धक विश्लेषण से।

      सादर।

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    2. क्षमा चाहेंगे।
      यशोदा दी के द्वारा की गये विश्लेषण से।

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    3. सादर आभार सुशील जी | निशब्द हूँ 

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  7. आदरणीय दीदी, आपने बहुत सुंदर शानदार अंक प्रस्तुत किया है, प्रिय रेणु जी की अनमोल रचनाएं
    पढ़ने का सुअवसर देने के लिए आपका कोटि कोटि आभार,सच कहा आप सभी ने रेणु जी की टिप्पणियां और टिप्पणियों की भाषा हिंदी भाषा को समृद्ध करने वाली हैं, उन्हें सहेजना सुंदर कार्य होगा। आपको और रेणु जी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं... जिज्ञासा सिंह..

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    1. प्रिय जिज्ञासा जी , मेरी पुरानी नयी रचनाओं तक पहुँचकर आपने जो स्नेह दिखाया उसके लिए सस्नेह आभार 

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  8. यशोदा दी, बिल्कुल सही कहा आपने कि
    "रेणु जी का सारा समय तो दिप्पणी लिखने में चला जाता है
    यदि उनकी लिखी गई टिप्पणियों को कलमबद्ध किया जाए
    कई रचनाएँ बन जाएगी।"
    क्योंकि वे होती ही है इतनी सशक्त और सविस्तर।

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    1. प्रिय ज्योति जी , ये आप सब का स्नेह है आभार और हार्दिक स्नेह |

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  9. यशोदा दी,संपर्क फॉर्म तो है ही नहीं
    फिर रचनाओं का लिंक कैसे भेजे?

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    1. आभार..
      आज से दिखने लगेगा फार्म
      सादर..

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  10. रेणु दी जैसी विदुषी और साहित्य मर्मज्ञ लेखिका के विचारों की तरह ही अत्यंत सरल,सहज,कोमल भावों में भीगी रचनाएँ अलग पहचान रखती हैं।
    प्रिय रेणु दी आपके लिए मेरी मंगलकामनाएं सदैव है।
    सुंदर संकलन के लिए आभार यशोदा दी।

    सादर

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    1. प्रिय श्वेता , ये तुम्हारा स्नेह बस | आभार और हार्दिक स्नेह |

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  11. एक चिर प्रतीक्षित प्रस्तुति के लिए हृदय से आभार और साधुवाद! सच कहें तो रेणु जी की समीक्षाओं ने मुझमें एक रचनाकार का बीज डाला है और यदि मैं यह कहूँ कि इस निष्पक्ष विदुषी समीक्षक की सारस्वत प्रेरणा ने सृजन धारा को वेगवती और सदिश बनाए रखा तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सत्य कहा आपने कि यदि इनकी समीक्षाओं का ही संकलन परोस दिया जाय तो वह एक रोचक और पठनीय ग्रंथ का आकार ले लेगा। माँ सरस्वती की अगाध कृपा इन पर बनी रहे और विलक्षण रचनाओं के सृजन के साथ-साथ एक सजग पाठक और समीक्षक-समालोचक की सतर्क भूमिका में इनका मार्गदर्शन लेखकों को यूँ ही मिलता रहे - यही शुभकामना है। बधाई और आभार!!!

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    1. कोटि आभार आदरणीय विश्वमोहन जी | निशब्द हूँ आपके शब्दों से

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  12. आदरणीय दीदी , आज मुखरित मौन पर बहुत दिन बाद हलचल देखकर बहुत अच्छा लग रहा है| पहले दिन मुझे ही चमका दिया आपने ये बात मेरे लिए ख़ुशी और गर्व की है पर मेरी रचनाओं पर प्रस्तुतियां पहले भी दी चुकी हैं | आपका आभार सस्नेह हार्दिक आभार इस अतुल्य स्नेह के लिए | अच्छा लगता है अपने बारे में औरों से जानना | टिप्पणियों की कहूँ तो टिप्पणियाँ ना भी लिखूं तो लेखन इतना ही रहेगा😀 | और जितनी टिप्पणियाँ मैंने लिखी उतना स्नेह ब्याज सहित ब्लॉग जगत ने मुझे दिया है | मेरे पास शब्द ही हैं जो मैं सबको दे सकती हूँ | शब्द ही हैं जिनके के रूप में हमारी सदभावनाएँ ब्लॉग पर अंकित रहती हैं | सबका स्नेह लिखवाता है | पिछले साल व्यस्तताओं के चलते मात्र दस रचनाएँ ही आ सकी पर मैं संतुष्ट हूँ कि मेरे गुणी पाठकों ने मात्र भावों के आधार पर रस , छंद , अलंकार से हीन मेरी रचनाओं को पढ़ा और सराहा है | पुनः आभार आपके इस स्नेहिल प्रयास का | कल ज्योति सर उनके विशेष शिल्प की गढ़ी ,उनकी मधुर रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी |सादर 🙏🙏

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    1. कहती न थी..
      हीरा पत्थर ही रहता है..
      उसकी परख जौहरी रुपी पाठक ही करते हैं
      मैं सुनार हूँ, गहने गढ़ने वाली
      मैं हार बनाकर जीत गई..
      सादर..

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    2. ये आपका स्नेह है दीदी, सादर आभार 🙏🙏

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  13. स्वागत और बधाई ! आने वाला समय और भी शुभ हो !

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    1. आपकी शुभकामनाओं के लिए सादर आभार गगन जी 🙏🙏

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  14. सखी रेणु के रचनाओं से सुशोभित आज की "सांध्य मुखरित मौन" बोल उठा है। सच,सरल भाषा में लिखी रेणु की रचनाएँ बोल उठती है और पाठक को मंत्रमुग्ध कर देती है और उनकी टिप्पणियों का तो जबाब नहीं अनपढ़ को भी प्रोत्साहित कर कलम थमा देती है उनमे से एक मैं भी हूँ। माँ शारदे,तुम पर अपनी कृपादृष्टि बनाये रखे यही कामना है सखी,बहुत-बहुत बधाई तुम्हें

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    1. ये तुम्हारा निश्चल प्रेम है सखी। सस्नेह आभार इन स्नेहिल उद्गारों के लिए 🙏🌷💐🌷

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  15. प्रिय रेणु जी की रचनाओं से सुसज्जित बेहद खूबसूरत संकलन।आज फिर से उनकी उत्कृष्ट रचनाएं पढ़कर बेहद खुशी हुई। बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।

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    1. प्रिय अनुराधा जी, स्वागत और आभार आपका। ये स्नेह बनाए रखें 🙏🌷💐🌷

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  16. इतने दिनों बाद दिखा साँध्य दैनिक मुखरित मौन ...और दिखा तो लाजवाब दिखा...रेणु जी की उत्कृष्ट रचनाओं ने मंच पर चार चाँद लगा दिये...आ.यशोदा जी का भी जबाब नहीं... सचमुच जौहरी हैं हार बनाकर जीतना कोई सीखे...रेणुजी की रचनाएं तो होती ही खास हैं जितनी बार पढ़ो मन नहीं भरता...और सही कहा उनकी टिप्पणियों से ग्रंथ बन सकता है सभी रचनाओं पर उनकी सारगर्भित सविस्तार प्रतिक्रियाएं लेखक का उत्साह द्विगुणित कर देती हैं...।बहुत बहुत बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं रेणु जी को।

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    1. आपकी उपस्थिति के बिना ये प्रस्तुति अधूरी थी प्रिय सुधा जी। आपके स्नेह की सदैव आकांक्षी हूं 🙏🌷💐💐🌷

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  17. प्रिय रेणु जी!आपकी रचना पूरी तो अभी नही पढ़ पाई परन्तु जितना भी पढ़ा है अप्रतिम 👌👌👌बस .....

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    1. उर्मि दीदी, आपका यहां उपस्थित होना ही मेरे लिए अनमोल है। हार्दिक आभार आपके स्नेहिल उद्गारों के लिए 🙏🙏🌷🌷

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  18. बहुत सुन्दर कविताएँ रेणुबाला जी.
    आपकी कविताएँ सहज होती हैं, भाव-पूर्ण होती हैं और उन में नदी का सा स्वाभाविक प्रवाह होता है.

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  19. आपकी बहुत बहुत आभारी हूं आदरणीय गोपेश जी। आपकी सराहना किसी पुरस्कार से कम नहीं 🙏🙏💐💐

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