Wednesday, May 27, 2020

367..स्वायंभू लॉकडाउन को जारी रखना होगा

शासन मे लॉकडाउन में छूट दे दी है
लोग कहीं भी आ जा सकते हैं
कहीं भी खा-पी सकते हैं
पर..
जीवित गर रहना है तो
स्वायंभू लॉकडाउन को
जारी रखना होगा
लॉकडाउन खत्म हो गया है
विषाणु नहीं.. वो है हाजिर
सामने वाले व्यक्ति में
ये मानकर चलना होगा

...
आइए पिटारा खोलते हैं....


शलभ मैं शापमय वर हूँ! ...महादेवी वर्मा

शलभ मैं शापमय वर हूँ !
किसी का दीप निष्ठुर हूँ !

ताज है जलती शिखा
चिनगारियाँ शृंगारमाला;
ज्वाल अक्षय कोष सी
अंगार मेरी रंगशाला;
नाश में जीवित किसी की साध सुंदर हूँ !


लहकी नागफणी ...कुसुम कोठारी

कैसी तृप्ती है औझड़ सी
तृषा बिना ऋतु के झरती ।
अनदेखी सी चाह हृदय में
बंद कपाट उर्मि  भरती।
लहकी नागफणी मरुधर में
लूं तप्त फिर भी न सूखे।।


फिर मिलते हैं सफ़र में ....अनीता सैनी

ऊषा उत्साह का पावन पुष्प गढ़ती है
प्राची में  प्रेम का तारा चमकता है।
अंशुमाली-सा साथ होता है अहर्निश
दुआ बरसती है तब शौर्य दमकता है।
तुम इत्मीनान से चलना पथिक
ये जो घर हैं न फिर मिलते हैं सफ़र में
यों भ्रम में बुने सपने भी
 कभी-कभी सूखे में हरे होते हैं।


तस्वीरें पलटना भी बहाना हो गया ...अभिषेक ठाकुर

टूटे ख़्वाबों को दफ्न कर दिया जब से
ज़िंदगी का सफ़र भी सुहाना हो गया

कब तलक राह देखे कोई अच्छे दिनों की
छोड़ो कि अब मंज़र वो पुराना हो गया


प्रलयकाल .....सुधा सिंह व्याघ्र

क्रोध की अग्नि में , 
भस्म सबको करेगा। 
गेहूँ के साथ चाकी में, 
घुन भी पिसेगा।। 
..
बस
कल फिर
सादर



6 comments:

  1. सुंदर मुखरित मौन का सांध्य दैनिक ।
    बहुत सुंदर रचनाएं सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने केलिए हृदय तल से आभार।

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  2. जिम्मेदारी और अपनत्व का बोध लिए सारगर्भित भूमिका।

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  3. बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तावना..हमें स्वयं ही अपने पर बंदिशें लगानी होंगी।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए उरतल से आभार आ.🙏🙏🙏

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  4. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय. मेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार.

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  5. बहुत अछी रचनाएँ। सभी ब्लॉगर्स को बधाई! मैं पहली बार आया इस ब्लॉग पर! बहुत अच्छा काम कर रहे आप! बधाई!!

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  6. उत्कृष्ट अंक के लिए बधाई

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