सादर अभिवादन
अपना अडिगासन जमाए रखें
अपने ही निवास में
बाहर में फंसे लोग जैसे ही घर
पहुंचे कि व्यापारे-कोरोना
में लेन-देन शुरु हो गया
समझ में आ रहा है कि
2020 का वर्ष
कोरोना की बेरीकेडिंग में ही बीतेगा
देखतें है आज क्या है
कोरोना के अलावा..
फिर वह एक मंदिर में जाकर भजन कीर्तन करने लगा। यह भगवान का ही प्रसाद था कि लोग उसे महात्मा समझकर उसके भक्ति भाव में डूबे भजन सुनने दूर-दूर से आने लगे। एक दिन एक सज्जन आए जिसने उसे अपने घर भोजन पर बुलाया। घर पहुंचकर उसने स्वादिष्ट भोजन किया। थोड़ा विश्राम करने के बाद जब उस सज्जन को उसने अपनी कहानी सुनाई तो वे सिहर उठे। सुनकर उन्हें लगा जैसे उन्हें कोई अपना आत्मीय मिल गया। उन्होंने उसे अपनी फैक्टरी में नौकरी करने का आमंत्रण दिया तो उसने झट से अपनी स्वीकृति दे ही। अंधे को क्या चाहिए दो-आँखें। वह बहुत खुश था आखिर उसे नौकरी मिल गई।
वह मेरा खपरैल का घर
मेरा इंतज़ार कर रहा होता है
फिर सुस्त हो जाता हूँ चलते- चलते
वहीं कहीं पेड़ की घनी छांव में
लेटकर तारों से बतियाना चाहता हूँ
मजबूर... एक मई मजदूर दिवस है। इस दिवस से करीब महीने भर पहले से मजदूर मजबूर हो गए हैं और अब भी मजबूर हैं। कोरोना वायरस के कहर ने उनसे उनका काम छीन लिया है और वो चिलचिलाती धूप में कभी पैदल तो कभी ट्रकों के उपर सवार होकर अपने घर जाने की कोशिश कर रहे हैं। इस मजदूर दिवस पर कोई समारोह नहीं होगा। यदि होता तो भी मजदूरों की हालत शायद ही बदलती।
होश में लाने को
लोग मुझ पर
पानी डालते हैं
और फिर से
मैं बेहोश हो
जाता हू
सादर...
सादर...
आप भूल गई थी,
ReplyDeleteअभी हम प्रकाशित किए हैं
सादर..
बहुत अच्छी प्रस्तुति में मेरी पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
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