Monday, May 18, 2020

358..उम्मीदों के दीप जलते हैं

प्रतिबद्ध है छत्तीसगढ़ सरकार
चीनी बीमारी को 
कदम भी नहीं रखने देंगे
हमारे राज्य में
हम सब छत्तिसगढ़िया
सरकार के साथ हैं
अब आज की रचनाएँ...
पहली रचना श्रीलंका से
खिले फूलों को चूम लूं 
इन की खुशबू भी पा कर लूँ 
तितलियों को नहीं देती हूँ 
प्राण की तरह मैं रखती हूँ  ।।


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प्यार देने का भी सलीका होता है 
प्यार लेने का भी सलीका होता है, 

जिंदगी में मुश्किलें कम तो नही 
आसान करने का भी सलीका होता है ।


बाधित हैं सेवाएँ औ बंद अब बाजार हैं।
दरवाजे के अंदर हम रहने को लाचार हैं।

और नहीं है दूसरा हथियार हाय रे जिंदगी।
लॉक डाउन में है गिरफ्तार सबकी जिंदगी।


तभी देखा
रास्ते के किनारे
कोई बेचारा
चोट खाया 
पड़ा हुआ था ।
कोई ना मदद को
आगे आ रहा था ।



कहाँ गाऊँ क्या गुनगुनाऊँ
किस लय  को चुनू
किस स्वर को अजमाऊँ
पसोपेश  में हूँ आज
किसे अपना गुरू बनाऊँ


तेरी पलकों के तले मेरे अरमान पलते हैं,
तेरी पलकों के तले उम्मीदों के दीप जलते हैं।

तेरी भींगी हुई पलकें मुझे झकझोर देती हैं,
तेरी भींगी हुई पलकें क्यूँ दिल को तोड़ देती हैं।
...
आज बस
कल फिर
सादर

10 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति...
    स्वागत है बहन दुल्कान्ति जी का..
    सिंहली भाषा से हिन्दी अनुवाद दुष्कर है
    अच्छी रचना...

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    1. हार्दिक आभार यशोदा जी।

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  3. उम्मीदों के दीप जलते हैं, बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

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  4. शानदार ,बेहतरीन प्रस्तुति ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ,हार्दिक आभार आपका

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  5. सभी रचनाकारों को भी ढेरों बधाई हो उनकी सुंदर रचनाओं के लिए ,नमस्कार

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  6. बहुत ही सुंदर और शानदार प्रस्तुति।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

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  7. दायरा बड़ा हो गया है ।
    श्रीलंका तक पहुंच गया है ।
    धन्यवाद दिग्विजय जी ।
    बधाई सभी लिखने वालों को ।

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  8. बहुत ही सुन्दर। मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार आपका।

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  9. उम्दा रचनाएं |मेरी रचना को स्थान दिया धन्यवाद सर |

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