सादर अभिवादन.
मात्र छः दिन बचे
लाक खुलने केपर खुशियां न मनाएँ
अपनी दिनचर्या न बदलें
वो विषाणु
चालिस दिन के बाद
फिर आता है ये देखने कि
लोग सुधरे या नहीं..
....
चलिए रचनाओँ की ओर..
इस ब्लॉग मे पहली बार
मात्र छः दिन बचे
लाक खुलने केपर खुशियां न मनाएँ
अपनी दिनचर्या न बदलें
वो विषाणु
चालिस दिन के बाद
फिर आता है ये देखने कि
लोग सुधरे या नहीं..
....
चलिए रचनाओँ की ओर..
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पिता-पुत्र की दोस्ती है बहुत प्यारी,
बिना बोले वो समझे पुत्र की परेशानियाँ सारी|
आने लगे पुत्र को पिता के जूते तो
है ये इस बात की तैयारी,अब
पुत्र भी समझें पिता की परेशनियाँ सारी
.....
शुभकामनाएँ भाई पुरुषोत्तम जी को
उनकी 1200 वीं प्रस्तुति के लिए
उनकी 1200 वीं प्रस्तुति के लिए
फिर, चुन कर, राहों के काँटों को,
फिर, पोंछ कर, पाँवों से रिसते घावों को,
फिर, बुन कर, सपनों के जालों को,
देख कर, रातों के, उजालों को,
या, तोड़ कर, सारे ही मिथक,
कुछ, लिखता हूँ हर बार!
है वह आइना तेरा
हर अक्स का हिसाब रखता है
तू चाहे याद रखे न रखे
उसमें जीवंत बना रहता है
बिना उसकी अनुमति लिए
जब बाहर झाँकता है
ब्यूरो ऑफ इंडीयन स्टैंडर्ड (BIS) के मुताबिक, मानव शरीर अधिकतम 500 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियम) टीडीएस सहन कर सकता हैं। आरओ के पानी से सामान्यत: 18 से 25 पीपीएम टीडीएस मिल रहा हैं, जो काफ़ी कम हैं। टीडीएस का मानक स्तर 70-150 के बीच होना चाहिए। वरना पानी डिस्टिल वाटर बन जाता हैं।
निराशा के बादलों से
सूर्य आशा का दिखेगा
कालिमा के मध्य से जब
चाँद भी खुलकर हँसेगा
जिंदगी फिर पूर्ण होगी
लग रही है जो अधूरी।
आँसू और मुस्कान के हिसाब
बुझी आग के राख में
उड़ती है
पीढ़ियों की लोककथाएँ
बुझे चूल्हे बहुत रूलाते हैं
स्मरण करवाते हैं
जीवन का सत्य
कि यही तो होते हैं
मनुष्य के
जन्म से मृत्यु तक की
यात्रा के प्रत्यक्ष साक्षी।
....
आज बस
सादर
....
आज बस
सादर
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया दी।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिंक्स। मेरी रचना सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,यशोदा दी।
ReplyDeleteबेहतरीन..
ReplyDeleteअच्छा लगा..
सादर..
अति सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteएक नए ब्लॉगर का परिचय, पुरुषोत्तम जी की 1200वी रचना के साथ ज्योति बहन का उपयोगी लिंक और कई उम्दा रचना लिए उम्दा प्रस्तुति के लिए साधुवाद ...
ReplyDeleteपर ये 40 दिन के बाद लौटने वाली बात से डरने की भी बारी है हम सभी की ...
बहुत प्यारे सूत्र सहेजे आपने। सारे एक एक करके पढ़ रहा हूँ। साधुवाद
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचनाओं के साथ बेहतरीन प्रस्तुति🙏🙏
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीया 🙏🙏
धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना को चुनने के लिए |
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ,कमाल की रचनाएं ,नमन और बधाई हो
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