Friday, April 17, 2020

328...भारत के आयुर्वैदिक चिकित्सक अब तक खामोश क्यों हैं

पीपल का पत्ता
बकरी का बेस्ट भोजन है
उसे काजू भी मिल जाए तो भी
वह पीपल के पत्ते को प्रिफर करेगी
समझ गए न आप..
देखिए अलका मिश्रा क्या कहना चाह रही है

अगर आपको अनचाही अनजानी सी शारीरिक / मानसिक परेशानी महसूस हो रही हो तो सोते वक्त ईयर रिंग उतार दिया करें। 

WHO जब किसी दवा की पुष्टि करेगा तब उसे डाक्टर अपनाएंगे।मैंने जो दवा तैयार की है उसे who से पुष्टि कराने का कोई मार्ग मेरे पास नही। अब ये डॉक्टर्स और रोगियों के अपने विवेक पर है कि वो kovid 19 को लाइलाज समझ मृत्यु की प्रतीक्षा करें या इस आयुर्वेदिक दवा को अपनाकर जीने की इच्छा पुनः जागृत करें।.....
जिनके घरों के आस पास पीपल के पेड़ हैं वे लोग 5 पत्ते रोज एक गिलास पानी में 10 मिनट तक उबाल के पीएं।
प्रति व्यक्ति 5 पत्ते प्रतिदिन। इससे गले फेफड़े अंदरूनी पावर बढिया रहेंगा।किसी वायरस की मजाल नही कि आपको छू दे

खांसी, जुकाम होने पर खांसी, ज़ुकाम बदलते मौसम में हर उम्र के लोगों के लिए परेशानी बन जाता है। इसके लिए पीपल के पांच पत्तों को दूध में उबालकर चीनी डालकर दिन में दो बार, सुबह-शाम पीने से ज़ुकाम, खांसी में बहुत आराम मिलता है।


काव्यांजलि ....ज्योति सिंह
My Photo
रातें छोटी 
बातें बड़ी 
कहने को मेरे पास 
बहुत कुछ था 
तुम्हारे लिए कही 
लेकिन तुम्हारे सामने 
खड़े होते ही 
तुम्हें देखते ही 
शिकायतों ने दम तोड़ दिया 


चलो ढेर सारी बातें करते हैं ...रश्मि प्रभा

"अरे बहुत कुछ कहना था,
कह लिए होते,"
यह सोच एकांत में रुलाती रहे
उससे पहले चलो
ढेर सारी बातें करते हैं ।
अपनी बातों की गेंद से
शिकायती पिट्टो को मारते हैं
सच को तहे दिल से स्वीकारते हैं ।
23-24-25 की गिनती के साथ,
जाने कहाँ तक युद्ध समय बढ़े ...


खैरात ...गुरुमिन्दर सिंह
हर शाम यह सोचकर गुजारी हमनें,
अंधेरी रात के बाद नई सुबह होगी।

हम अगर धरती पर आ ही गये तो,
दो जून रोटी की किसी को फ़िक्र होगी।


उदास शाम ....आत्ममुग्धा
आज फूल कुछ उदास से है
पतझड़ नहीं है,
फिर भी पीले पत्ते मुझ पर गिर रहे है
फूल खुशबू बिखेर रहे है
पर अनमने से है
नहीं.... नहीं
फूल उदास नहीं है
ये तो उदास मन की व्यथा है
जो हर जगह उदासी को देखता है

::आत्म कथ्य::
जिन दिनों मैं फ्रांसिसी रिसर्च टीम की देख-रेख में थी 

तो वे लोग पीपल, बड़ और करंज में दवाओं की 
संभावना तलाश कर रहे थे... और करंज का प्रयोग 
मुझ पर भी किया..उससे मेरे घाव चमत्कारिक
रूप से भरने लगे..
भारत के आयुर्वैदिक चिकित्सक 

अब तक खामोश क्यों हैं
और आयुर्वेदिक दवाओं में साईड इफेक्ट
भी नही होता...
इति..
सादर





9 comments:


  1. दी ,आपने बहुत ही उपयोगी जानकारी साझा किया ,ये सत्य हैं कि आर्युवेद एक महान चिकित्सा शास्त्र हैं जो हमारी मूल धरोहर हैं मगर हमें तो अपनी ही धरोहर की कदर नहीं ,अपनी ही ज्ञान को प्रमाणित करने के लिए हमे विदेशियों की सहमति चाहिए ,हमारा यही दुर्भाग्य हैं ,बहुत बहुत धन्यवाद दी ,सादर नमन आपको

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  2. कामिनी जी की बातों से मैं भी सहमत हूँ ,बेहतरीन प्रस्तुति के साथ उपयोगी जानकारी भी शामिल किया है आपने ,बढ़िया है, मुझे भी इसका हिस्सा बनाया इसके लिए आपकी हृदय से आभारी हूँ मैं।धन्यवाद

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  3. शुक्रिया आपका

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  5. सार्थक प्रस्तुती आदरणीय दीदी | पीपल के पत्तों से मुझे एक बात याद आई | बहुत दिनों पहले मैंने ddपंजाबी पर पंजाब के किन्हीं प्राकृतिक चिकित्सक का इन्टरव्यू सुना था | उनका कहना था कि पशु पक्षी भी इसी संसार में रहते है |पर उन्हें कोई गंभीर बीमारी आम तौर पर नहीं होती | इसका कारण है कि वे प्रकृति प्रदत्त चींजों को जैसा है वैसा ही ग्रहण करते हैं | उनका कहना था कि स्वस्थ रहने के लिए बकरी बन जाओ | मुझे याद नहीं कि वे कहाँ के थे पर वे अपने मरीजों का इलाज अपने हर्बल उद्यान के पेड़ों के पत्तों से ही करते थे | खासकर कड़ी पत्ते को बहुत ही शानदार औषधि बताया उन्होंने | ढेढ़ साल पहले मुझे और सासु माँ को गंभीर डेंगू बुखार ने जकड़ लिया | और बालों पर तो वो प्रकोप हुआ कि गंजा होने की नौबत आ गयी | किसी शुभचिंतक की सलाह पर दोनों ने कड़ी पत्ते का सेवन सुबह सुबह दो महीने किया तो आश्चर्यजनक रूप से बालों का गिरना थम गया और ग्रोथ भी अच्छी हो गयी वो भी बिना किसी दुसरी दवा के | इसी तरह से एक बार सासु माँ को मैंने गिलोय की हरी डंडी ताजा कूटकर दो महीने रोज पिलाई तो उनका HB ७ से बढ़कर १२ हो गया | कहने का भाव कि वनस्पति में अतुल्य शक्तिवर्धक क्षमताएं छिपी हैं पर हम लोग अंग्रेजी दवाओं पर ही ज्यादा निर्भर हो गए हैं | हालाँकि गंभीर दशा में इसके बिना वैसे भी काम नहीं चलता |

    और हाँ , सचमुच कोरोना कहर के बीच हमारे आयुर्वेदिक चिकित्सकों की खामोशी बहुत हैरान कर रही है | बाबा लोग भी अब चुप हैं | खाली बाबा रामदेव तो टिप्स देते रहते हैं बाकी सब अदृश्य हो गये हैं | लगता है अज्ञातवास में स्थिर हो साधनारत हैं | खैर , बहुत प्यारी प्रस्तुती के लिए आभार | सभी रचनकारों को शुभकामनाएं|| सादर -

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  6. हमारे आयुर्वैदिक चिकित्सक लगता है कि आज के माहौल से वे कतरा रहे हैं ! जब कुतर्किएऔर अविवेकी लोग प्रधान मंत्री का ही मजाक उड़ाने या उन पर सवाल खड़ा करने से बाज नहीं आते तो कौन अपना मखौल बनवाए। शायद यही हिचक उन्हें रोक रही हो ! पर भीतर ही भीतर वे बेचैन भी जरूर हो रहे होंगे, कुछ ना कर पाने स्थित को लेकर !

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    1. आदरणीय मोदी जी स्वयं आयुर्वैदिक दवा खा रहे हैं
      वे भी पत्रकारों की गंदी राजनीति से कन्नी काट करहे हैं
      सादर

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