Thursday, April 2, 2020

313...भगवान श्रीराम सब की मनोकामना पूर्ण करें

सप्रेम नमस्कार
श्री रामनवमी
श्रीरामचंद्र जी की जन्मदिन
भगवान श्रीराम
सब की मनोकामना पूर्ण करें

अब रचनाओँ की ओर....

फेर से रामायण आईल बा!(भोजपुरी भाषा में) ...नवाब मंजूर

सालों बाद दूरदर्शन पर,
धारावाहिक रामायण आईल बा !
सुन के मन मोरा गदगदाईल बा !!
रामायण देखे खातिर लड़कईयाँ में ,
केतना कष्ट सहाईल बा…?
एके झटका में सब याद आईल बा ,
मन मा ऊ दृश्य समाईल बा।




मेरे इन गीतों में रंग नहीं मेरा है ...जयकृष्ण राय तुषार

गीत मैं चुराता हूँ 
धूप कभी बादल से ,
अधरों की मधुर हँसी 
नयनों के काजल से ,
भौरों सा मन अपना 
फूल पर बसेरा है |

जब तक मन वृन्दावन 
बाँसुरी बजाता है ,
मीराबाई गाती 
सूरदास गाता है ,
निर्गुण मन के पथ पर 
जोगी का फेरा है |

निःशब्द ...नूपुर शाण्डिल्य 

पत्तों की सरसराहट
लयबद्ध हिलना,
अभिवादन करना ।
धूप की दिनचर्या ।
छत पर चढ़ना और
सीढ़ी से उतरना।
चंचल गिलहरी का
दौड़ना कुतरना ।
पक्षियों का सुरीला
अंतरंग वार्तालाप ।
समय की पदचाप ।


अलमारी में पड़ी कुछ पुरानी किताबें ...संजय भास्कर

अलमारी में पड़ी कुछ
पुरानी किताबें
जिन्हे काफी अरसे से
नहीं पढ़ पाया हूँ मैं
जो अलमारी में
पड़े - पड़े अक्सर देखती है मुझे
और देती है आमंत्रण
मुझे पढ़ने के लिए


कितने रंगों के घूंघट सजाए हैं ...राज्यश्री त्रिवेदी

दिखते भी नहीं फिज़ाओं के रंग,
घुल से गए जैसे, बादलों के संग,
चाल बदली-सी, गीली हवाएं हैं..
अंधियारों की चली है,
चांद से बादलों की खूब बनी है,
दरख्तों ने कितने रंगों के घूंघट सजाए हैं..

आज  बस इतना ही
कल फिर
सादर





3 comments:

  1. आभार..
    बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर...

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  2. आदरणीया यशोदा जी आपका हार्दिक आभार |अच्छे लिंक्स के लिए बधाई |

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  3. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.

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