Tuesday, October 29, 2019

159..भाई दूज और चित्रगुप्त जयन्ती का अभूत पूर्व संगम..

सादर नमस्कार..
आज भगवान चित्रगुप्त जी की जयन्ती है..
समग्र विश्व का लेखा-जोखा 
के धनी को शत-शत नमन.. 
उनके वंशज आज कलम-दावात 
की पूजा अर्चना करेंगे...
कम लोगों को जानकारी होगी..
कायस्थ कुल ही महाराज चित्रगुप्त के वंशज हैं
कायस्थ भारत में रहने वाले सवर्ण हिन्दू समुदाय की एक जाति है। गुप्तकाल के दौरान कायस्थ नाम की एक उपजाति का उद्भव हुआ। पुराणों के अनुसार कायस्थ प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करते हैं। हिंदू धर्म की मान्यता है कि कायस्थ धर्मराज श्री चित्रगुप्त जी की संतान हैं तथा देवता कुल में जन्म लेने के कारण इन्हें ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों धर्मों को धारण करने का अधिकार प्राप्त है। वर्तमान में कायस्थ मुख्य रूप से बिसारिया, श्रीवास्तव, सक्सेना,निगम, माथुर, भटनागर, लाभ, लाल, कुलश्रेष्ठ, अस्थाना, कर्ण, वर्मा, खरे, राय, सुरजध्वज, विश्वास, सरकार, बोस, दत्त, चक्रवर्ती, श्रेष्ठ, प्रभु, ठाकरे, आडवाणी, नाग, गुप्त, रक्षित, बक्शी, मुंशी, दत्ता, देशमुख, पटनायक, नायडू, सोम, पाल, राव, रेड्डी, दास, मेहता आदि उपनामों से जाने जाते हैं। वर्तमान में कायस्थों ने राजनीति और कला के साथ विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में सफलतापूर्वक विद्यमान हैं। वेदों के अनुसार कायस्थ का उद्गम ब्रह्मा ही हैं। उन्हें ब्रह्मा जी ने अपनी काया की सम्पूर्ण अस्थियों से बनाया था, तभी इनका नाम काया+अस्थि .  

नियमित रचनाएँ
भैया दूज ...
कार्तिक की यमद्वितीया है भैया,
आज मेरे घर तू आना।
यम खाते थे यमुना घर जाकर,
आज मेरे घर तू खाना।
मुन्ने मुन्नी और भाभी को भी,
लेकर आना साथ में।


ये क्या फसाने हो गए ..
बस किताबी ज्ञान में उलझा हुआ है बचपना
खेलना मिट्टी में कंचों से जमाने हो गए।

वो किताबों से न जिनका था कोई रिश्ता उन्हें
ज्यों संभाला होश तो पैसे कमाने हो गए।


उसकी उदासियां..,!!

उसकी उदासियां
उसका हमसाया थी
वह तन्हा रही
अपनी ही जिंदगी में
एक चरित्र बनकर..!


मधुरागी ....

सुंदर सौरभ यूं
बिखरा मलय गिरी से,
उदित होने लगा
बाल पंतग इठलाके,
चल पड़ कर्तव्य पथ
का राही अनुरागी
प्रकृति सज उठी है
...
आज बस..
कुछ रचनाएँ नयी आने लगी है
नया तो पढेंगे ही
सादर..






6 comments:

  1. एक चित्रांशी का सस्नेहाशीष व शुभकामनाओं संग साधुवाद स्वीकार करें
    उम्दा प्रस्तुतीकरण

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  2. बढ़िया। भाई दूज की मंगलकामनाएं सभी बहनों के लिये।

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  3. शुभ संध्या...
    सादर नमन भगवान श्री चित्रगुप्त जी को...
    बढ़िया प्रस्तुति ..
    संग्रहणीय अंक...
    सादर...

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  4. जी बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण और सराहनीय प्रस्तुति। चित्रगुप्त पूजा और भैया दूज पर्व एक ही दिन होता है। दोनों पर्वों का अद्भूत साहित्य-संगम ।सादर नमन

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  5. सुन्दर व सराहनीय प्रस्तुति

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  6. भावपूर्ण और सराहनीय प्रस्तुति।

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