155..धनतेरस की शुभ कामनाएँ
धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। अमृत मंथन के दौरान औषधि लाने वाले भगवान धन्वंतरी आरोग्यता साथ लाने वाले धनवंतरी भगवान को आज साक्षात हम किसी डॉक्टर में देख सकते है। धन तेरस के दिन अपने चिकित्सक डॉक्टर को कृतज्ञ प्रणाम जरूर करे। साथ ही दवाई की दुकान वाले को भी कृतज्ञता अर्पित कर धनतेरस पर्व मनाये
धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। धनतेरस के सन्दर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या। दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें परन्तु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परंतु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे उसी वक्त उनमें से एक ने यम देवता से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यम देवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।
साभारः वेबदुनिया
धनतेरस की शुभकामनाएं
ReplyDeleteसादर...
हार्दिक शुभकामनाएं
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ReplyDeleteसभी अग्रजों एवं बंधुओं को धनतेरस पर्व की शुभकामनाएँ। भारतीय संस्कृति और उसकी परम्पराओं में निहित जीवन के रहस्य को जब भी समझने का प्रयत्न करता हूँ , मन हर्षित हो उठता है।आज धनतेरस पर्व पर हम जो कार्य करते हैं। प्रथम स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि और फिर सायं धन के देवता कुबेर का पूजन, किसी नये धातु के बर्तन को खरीद कर घर पर लाना और मुख्य द्वार पर यम दीप जलाना।
ReplyDeleteउल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। यह कहावत आज भी प्रचलित है कि 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया' इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है।
समसामयिक प्रस्तुति के लिये आभार, प्रणाम
संशोधनःयम दीप छोटी दीपावली को जलाते हैं।
Deleteनहीं, धनतेरस को ही जलाते हैं घर की दक्षिण दिशा में ।
Deleteमंगलकामनाएं।
ReplyDeleteपौराणिक कथाओं को पढ़ना सुनना हमेशा ही अच्छा लगता है। इन कथाओं और परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुँचाना भी हमारी जिम्मेदारी है। धनतेरस की हार्दिक शुभेच्छाएँ सबको।
ReplyDeleteधनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं
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