होते हैं जिम्मेदार उजाले
करता है उन्हें उजागर
होता है सबकुछ
इसीलिए होती है अहम
रोशनी ज़रा सी...भले तो
मिले वह एक दीपक से
या फिर..किसी
दरवाजे की झिरी से...
मिले वह एक दीपक से
या फिर..किसी
दरवाजे की झिरी से...
दीप-पर्व की शुभकामनाएँ
सादर अभिवादन..
चलिए रचनाओं की ओर..
सादर अभिवादन..
चलिए रचनाओं की ओर..
कतार लगी है दियों की
मन में शुभता लिये
मधुर है कितना कुछ
इनके आस-पास
पकवानों से सजे हैं थाल
दीवारों पर खिलखिला रहे हैं रँग नये
देहरी पर सजी रंगोली ने
किया वंदन अभिनन्दन
लगाकर रोली चंदन
माँ लक्ष्मी के संग गौरी नन्दन का !!
वो दो नन्हे नन्हे से हाथ
उस बेज़ान सी रेत से
सौ बार घर बना चुके हैं
हर बार ज़ोरदार लहर आती है
और उन नन्हे हाथों से बने घर को
तोड़ अपने साथ बहा ले जाती है
इक बार लहर की तरफ देख
मुँह बना कुछ बड़बड़ाता है
और वो फिर नए जोश के साथ
सफ़र जीवन का ....श्वेता सिन्हा
हार करके बैठना मत आँधियाँ पलभर की हैं
जीत उसकी ही हुई जो सदा डग भरता रहा
द्वेष मिटाता रहा मनुष्य और मनुष्यता
सृष्टि का हर एक कण बस प्रेम में पलता रहा
सफ़र जीवन का ....श्वेता सिन्हा
हार करके बैठना मत आँधियाँ पलभर की हैं
जीत उसकी ही हुई जो सदा डग भरता रहा
द्वेष मिटाता रहा मनुष्य और मनुष्यता
सृष्टि का हर एक कण बस प्रेम में पलता रहा
कितनी दूर चला आया हूँ,
कितनी दूर अभी है जाना।
राह है लंबी या ये जीवन,
नहीं अभी तक मैंने जाना।
नहीं किसी ने राह सुझाई,
भ्रमित किया अपने लोगों ने।
अपनी राह न मैं चुन पाया,
बहुत दूर जाने पर जाना।
इश्क़ के दरिया में, हमें तो बस मझधार मिले
थक-हार गए तलाश में, दूर-दूर तक साहिल न था।
हैरान हुआ हूँ हर बार अपना मुक़द्दर देखकर
ग़फ़लतें होती ही रही, यूँ तो मैं ग़ाफ़िल न था।
जब पहली बार निकलो यात्रा पर
तो कुछ भी न रखना साथ
चाकू, घड़ी, छतरी, टिश्यू पेपर, टॉयलेट सोप...
आदि कुछ भी नहीं
कहीं अगर ले लिया
इन सामानों से भरा झोला
...
समय की चोट से,
दो हिस्सों में बँट गया है मन
एक तरफ शोर
एक तरफ खामोशियां हैं !
बाकी सब ठीक है !!
सादर..
सादर..
व्वाहहहह..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति..
सादर..
बढ़िया अंक।
ReplyDeleteविचार करें अब दीवारों पर रंग कितने घरों में खिलखिलाते हैं। रंगाई-पुताई करने वाले लोगों से भी जरा उनका हाल इस पर्व पर पूछ लें।
ReplyDeleteसादर,
प्रस्तुति एवं रचनाएँ कुछ न कुछ चिन्तन को दे ही देती हैं।
वाह। बहुत उम्दा सूत्र। आभार
ReplyDelete
Deleteकितनी दूर चला आया हूँ,
कितनी दूर अभी है जाना।
राह है लंबी या ये जीवन,
नहीं अभी तक मैंने जाना।
hmm..har man k bhaaw hain ye
bahut sarltaa se sateek baat keh di aapne
achhe lekhan ke liye bdhaayi aur hum sab ke sath use share krne ke liye aabhar
बेहद सार्थक प्रयास ... अनुपम लिंक्स
ReplyDeleteआभार सहित शुभकामनाएं
मन प्रफुल्लित हो गया इतने बेहतरीन Links पर जा कर...सामग्री को पढ़ कर..।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं 🌟🌹🌟
सुंदर अंक
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति एवं बढ़िया रचनाएँ
ReplyDeleteबहुत उम्दा सूत्र।
बहुत अच्छा प्रयास किया हे आपने लिंक्स को जोड़ने में
मेरी रचना को शामिल कर। .उत्साह बढ़ाने के लिए सादर धन्यवाद
युहीं साथ बनाये रखें
आभार
कितनी दूर चला आया हूँ,
ReplyDeleteकितनी दूर अभी है जाना।
राह है लंबी या ये जीवन,
नहीं अभी तक मैंने जाना।
@Kailash Sharma ji ki ye pankiyan aur rchnaa bahut sundr hain
dhanywaad