सादर अभिवादन...छत्तीसगढ़ सरकार का भला हो
अभी तक चालान की प्रक्रिया शुरू नही हुई
पर गाहे - बगाहे चालू होगी ही
....चलिए चलें रचनाओं की ओर..
पर गाहे - बगाहे चालू होगी ही
....चलिए चलें रचनाओं की ओर..
वो जो देश के लहु में बसता है,
ज्ञान का सागर,
वो जो हिन्द की पहचान है,
हिन्दी की गागर,
वो जो आत्म को परमात्म की शक्ति से मिलाता,
वो जो बंजर ह्रदय में प्रेम रस जगाता,
वो जो सरहद के रक्षक का आत्म बल है बनता,
वो जो कहकहों व ठहाकों की चादर है बुनता,
वो असीम शक्तिशाली कवि और काव्य कहाँ है?
यह भी हो सकता है
कि आज तुम्हारे चुप रहने से
दूसरे लोग तब चुप रहें,
जब उनका बोलना
तुम्हारे लिए बेहद ज़रूरी हो.
निःशब्द हो जाती हूं
जब विद्वजनों की लेखनी
में खो जाती हूँ
और लेखन रस के संसार में
डूब जाती हूँ ।
कलाकारों की कलाकृतियां
देख साँस थामे
नि:शब्द अपने भाव
प्रकट कर आती हूँ
गाहे-बगाहे
किसकी सुधि आ जाए!
गूंजी है ये, किसकी ॠचाएँ?
सुध-बुध सी खोई, है सारी दिशाएँ,
पंछी नादान, उड़ना न चाहे,
उसी ओर ताके, झांके, गाहे-बगाहे!
आता नहीं क़रार दिले-बेक़रार में
इक दिल है वो भी अपने कहाँ इख़्तियार में
वो मुब्तला है ग़म में, ख़ुशी में या प्यार में
इक दिल है वो भी अपने कहाँ इख़्तियार में
..
आज बस
कल फिर मिलेंगे
सादर
आज बस
कल फिर मिलेंगे
सादर
व्वाहहहह..
ReplyDeleteबेहतरीन..
सादर..
उम्दा लिंक्स चयन
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ReplyDeleteडर नहीं रहे हैं बोल रहे हैं
Deleteलोग अपने अपने हिसाब से
कहे हुऐ शब्दों को तोल रहे हैं
सुन्दर।
शानदार सांध्य दैनिक सुंदर रचनाओं का सुंदर गुलदस्ता।
ReplyDeleteवाह बेहद शानदार ....
ReplyDeleteसुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल की. शुक्रिया.
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