सांध्य मुखरित मौन में आप सभी का
सादर अभिवादन
सादर अभिवादन
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15 अक्टूबर 1931
आज डॉ.कलाम का जन्मदिन है।
आइये अब आज की रचनाएँ पढ़ते हैं- पौत्र ....
जब भी मैं देखती तुम्हें
मुझे याद आता एक साथ
पीपल के मसृण पात
और अपने कमजोर पड़ते गात
प्रकृति का यही नियम
नवीन का आगमन
पुरातन का गमन
★★★★★
खुशी .....
बहुत भाव
खाती हो खुशी ?..
कुछ सीखो
अपनी बहन से...
हर दूसरे दिन आती है
हमसे मिलने.. "परेशानी"।
आती तो मैं भी हूं...
पर आप ध्यान नही देते।
★★★★★★
खुली हवा मे सांस ले सकें ....
दूषित हवाओं से मुक्ति हो
खुली हवा में सांस ले सकें
कौन यहां अवतारी होगा
जिससे थोड़ी आस ले सकें ।
अंधविश्वास
होम,हवन,यज्ञ,पूजा, ये सब दरसल एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें प्रयोग आने वाली सामग्री वातावरण को स्वच्छ करती हैं,कीटाणु से लड़ती है पर इसका आध्यात्म या किसी विशेष प्रकार की शक्ति से कोई संबंध नही जो हमारी या किसी वस्तु की रक्षा कर सके।
★★★★★★
उलूक के पन्नों से
अभी
दिखा है
एक कवि
कूड़ा
समुन्दर
के पास
बीन लेने
वाले को
सब कुछ
सारा
माफ होता है
बड़े
आदमी के
शब्द
नदी
हो जाते हैं
★★★★★
आज का अंक कैसा लगा?
आपकी प्रतिक्रियायेंं बहुमूल्य हैं।
#श्वेता
15 अक्टूबर 1931
आज डॉ.कलाम का जन्मदिन है।
ए पी जे अब्दुल कलाम के विचार युवाओं के लिए बहुत ही प्रेरक हैं। अब्दुल कलाम आजाद भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे इसके साथ ही साथ वो एक महान वैज्ञानिक भी थे जिन्हें “मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता है।
★★★★★★आइये अब आज की रचनाएँ पढ़ते हैं- पौत्र ....
जब भी मैं देखती तुम्हें
मुझे याद आता एक साथ
पीपल के मसृण पात
और अपने कमजोर पड़ते गात
प्रकृति का यही नियम
नवीन का आगमन
पुरातन का गमन
★★★★★
खुशी .....
बहुत भाव
खाती हो खुशी ?..
कुछ सीखो
अपनी बहन से...
हर दूसरे दिन आती है
हमसे मिलने.. "परेशानी"।
आती तो मैं भी हूं...
पर आप ध्यान नही देते।
★★★★★★
खुली हवा मे सांस ले सकें ....
दूषित हवाओं से मुक्ति हो
खुली हवा में सांस ले सकें
कौन यहां अवतारी होगा
जिससे थोड़ी आस ले सकें ।
अंधविश्वास
होम,हवन,यज्ञ,पूजा, ये सब दरसल एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें प्रयोग आने वाली सामग्री वातावरण को स्वच्छ करती हैं,कीटाणु से लड़ती है पर इसका आध्यात्म या किसी विशेष प्रकार की शक्ति से कोई संबंध नही जो हमारी या किसी वस्तु की रक्षा कर सके।
★★★★★★
उलूक के पन्नों से
अभी
दिखा है
एक कवि
कूड़ा
समुन्दर
के पास
बीन लेने
वाले को
सब कुछ
सारा
माफ होता है
बड़े
आदमी के
शब्द
नदी
हो जाते हैं
★★★★★
आज का अंक कैसा लगा?
आपकी प्रतिक्रियायेंं बहुमूल्य हैं।
#श्वेता
शुभ संध्या...
ReplyDeleteउव्वाहहहह..
मज्जा आ गया...
अच्छी बुलेटिन..
सादर..
महामानव कलाम को नमन उनके जन्मदिन पर। आभार श्वेता जी आज के लाजवाब अंक में जगह देने के लिये।
ReplyDeleteमहान विभूति और सुंदर प्रस्तुति को नमन।
ReplyDeleteकलाम जी को सत सत नमन , बेहतरीन प्रस्तुति ,सादर नमन
ReplyDeleteकलाम जी को कोटिशः नमन 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीया दीदी जी
सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक 👌
सभी को खूब बधाई।
हमारे लेख को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आपका।
सादर नमन शुभ रात्रि
सुंदर लिंको का संयोजन । बहुत सुंदर मुखरित मौन ।
ReplyDeleteसलाम कलाम
Deleteकलाम थे कमाल थे,
हिंदू न मुसलमान थे,
भारत की संतान थे,
सरस्वती के लाल थे,
मनीषी बेमिसाल थे,
वैज्ञानिक बैजोड़ थे,
विचारक अनुपम थे,
स्वभाव से सरल थे,
धीर ,अति गंभीर थे,
भारती की शान थे,
सदा उच्च भाल थे,
कमाल थे कमाल थे ।
कुसुम कोठारी।
त्यौहार के अतिरिक्त काम, करवा चौथ के आगमन की व्यस्तता, और दीपावली के उपलक्ष्य में घर में पेंट पुताई के लिए फैली राज मजदूरों की हलचल के कारण धन्यवाद ज्ञापन के लिए देर से आ सकी हूँ आशा है आप क्षमा करेंगी श्वेता जी ! ह्रदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
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