स्नेहाभिवादन!
बदलाव एक नियम सा है...प्रकृति भी अपना रंग बदलती है
ग्रीष्म ऋतु के प्रकोप से सम्पूर्ण जीव जगत त्रस्त है । कहीं कहीं मानसून के आगमन की रिमझिम
फुहारें जीव-जगत के साथ-साथ प्रकृति में नव आशा का संचार करने में जुटी है । "मुखरित मौन' के
तियालसवें अंक के साप्ताहिक संकलन मे आपके लिए प्रस्तुत हैं विविध भावों से परिपूर्ण सूत्र --
फुहारें जीव-जगत के साथ-साथ प्रकृति में नव आशा का संचार करने में जुटी है । "मुखरित मौन' के
तियालसवें अंक के साप्ताहिक संकलन मे आपके लिए प्रस्तुत हैं विविध भावों से परिपूर्ण सूत्र --
अनवरत बहती अश्रुधारा को पोछते हुए ,
आत्मविश्वास के प्रतीक सी उसकी आँखों मे आँखे डाल खड़ी हो गयी ,
"तुम जो ये इतनी देर से लिख लिख कर पन्ने काले कर रहे हो ,ये सब व्यर्थ है ।
आत्मविश्वास के प्रतीक सी उसकी आँखों मे आँखे डाल खड़ी हो गयी ,
"तुम जो ये इतनी देर से लिख लिख कर पन्ने काले कर रहे हो ,ये सब व्यर्थ है ।
वायु प्रदूषण तापमान में तेजी ,
ए मनुष्य तुम्हें किसी को भला- बुरा कहने का हक नहीं है किसी भी परिवर्तन का
मुख्य कारण तुम स्वयं ही हो अगर तुम चाहते हो यह धरती फिर से पहले जैसी हो जाए तो
अधिक से अधिक वृक्षों का रोपण करो ।
ए मनुष्य तुम्हें किसी को भला- बुरा कहने का हक नहीं है किसी भी परिवर्तन का
मुख्य कारण तुम स्वयं ही हो अगर तुम चाहते हो यह धरती फिर से पहले जैसी हो जाए तो
अधिक से अधिक वृक्षों का रोपण करो ।
वह चित्र क्या
जो सोचने को बाध्य न करे
इसमें है ऐसा क्या विशेष
जो शब्दों में बांधा न जा सके
सोच तुरन्त मन पर छा जाए
शब्दों में सिमट जाए
तभी लेखन में आनंद आए
कभी उठा तो बिखर जाऊंगा सहर बनकर
बहुत थका हूँ मुझे रात भर को सोने दो
हँसी लबों पे बनाये रखी दिखाने को
अभी अकेला हूँ कुछ देर मुझको रोने दो
तुम्हारे चेहरे की
मासूम परछाई
मुझमें धड़कती है प्रतिक्षण
टपकती है सूखे मन पर
बूँद-बूँद समाती
एकटुक निहारती
तुम्हारी आँखें
बूँद का अस्तित्व छोटा मगर
काम बड़े कर जातीं
वर्षा की बूँदे
संग्रहित होकर
पोखर,नदियों को भरती हुई
जाकर मिलती सागर के जल में
सृजन करती धरती पर जीवन
प्रकृति को हरियाली देतीं
ओस की बूँदें
********
***इस प्रस्तुति के रचनाकार**
आदरणीया निवेदिता जी,आदरणीया ऋतु आसूजा जी, आदरणीयाआशालता जी,
भाई श्री अनुराग शर्मा जी, आदरणीया श्वेता जी व आदरणीयाअनुराधा जी हैं ।
इजाजत दें
"मीना भारद्वाज"
***इस प्रस्तुति के रचनाकार**
आदरणीया निवेदिता जी,आदरणीया ऋतु आसूजा जी, आदरणीयाआशालता जी,
भाई श्री अनुराग शर्मा जी, आदरणीया श्वेता जी व आदरणीयाअनुराधा जी हैं ।
इजाजत दें
"मीना भारद्वाज"
सुंदर रचनाओं से सजा सराहनीय मुखरित मौन...अंक बहुत अच्छा लगा दी👌
ReplyDeleteव्वाहहहहह..
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति..
साधुवाद...
सादर..
कभी उठा तो बिखर जाऊंगा सहर बनकर
ReplyDeleteबहुत थका हूँ मुझे रात भर को सोने दो
बेहतरीन व सारगर्भित रचनाओं का चयन..
श्रमसाध्य प्रस्तुति...
सादर..
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार मीना जी
ReplyDeleteसुन्दर मुखरित मौन प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सारगर्भित रचनाओं की प्रस्तुति
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