स्नेहाभिवादन !
सप्ताहांत में एक बार फिर"मुखरित मौन" का
विविधतापूर्ण अंक जिसमें लघुकथा,
लेख और कविताओं से सजे कुछ चुनिंदा सूत्र हैं
विविधतापूर्ण अंक जिसमें लघुकथा,
लेख और कविताओं से सजे कुछ चुनिंदा सूत्र हैं
आपके सम्मुख प्रस्तुत हैं ----
आसमान में याद का दरख्त उलटा खड़ा था
कत्थई रंग डूबती थी घास वस्ल का किस्सा पड़ा था
थम गयी करुणा ठिठककर रास्ता पिंजर मढ़ा था
वह हरफ जो मिट गया किसने पढ़ा था
किसान ने अपनी बेटी की शादी के लिए एक महाजन से
ब्याज़ में 20 हजार रुपए का कर्ज़ लिया था ।
ब्याज़ की रकम बढ़ते -बढ़ते मूलधन से कई गुना ज्यादा हो गयी ।
वह महाजन के लगातार तगादे से तंग आ गया था ।
ब्याज़ में 20 हजार रुपए का कर्ज़ लिया था ।
ब्याज़ की रकम बढ़ते -बढ़ते मूलधन से कई गुना ज्यादा हो गयी ।
वह महाजन के लगातार तगादे से तंग आ गया था ।
एक दिन महाजन ने उससे कहा -अगर कर्ज़
पटा नहीं सकते तो दो एकड़ का अपना यह खेत मेरे नाम कर दो ।
तुम्हारा पूरा कर्जा माफ़ हो जाएगा ।
तगादे की वज़ह से मानसिक
तुम्हारा पूरा कर्जा माफ़ हो जाएगा ।
तगादे की वज़ह से मानसिक
संताप झेल रहे किसान को कुछ नहीं सूझा ,
तो उसने महाजन की बातों में आकर अपनी ज़मीन उसके नाम कर दी ।
तो उसने महाजन की बातों में आकर अपनी ज़मीन उसके नाम कर दी ।
हरियाली, पर्यावरण की बातें करते हुए हम
भले ही कुछ देर के लिए खुश हो जाएं
लेकिन उस जमीन पर कोई नहीं पहुंचना चाहता,
भले ही कुछ देर के लिए खुश हो जाएं
लेकिन उस जमीन पर कोई नहीं पहुंचना चाहता,
जहां से हमारी जड़ें जुड़ी हैं।
शहर की सुन्दर सी कॉलोनी में मलिक साहेब
की बड़ी सी कोठी थी और उस कोठी में
अमलतास का एक बहुत बड़ा हरा भरा और
की बड़ी सी कोठी थी और उस कोठी में
अमलतास का एक बहुत बड़ा हरा भरा और
सुन्दर सा पेड़ था ! उस पेड़ पर एक प्यारी सी बया रहती थी !
बया रानी दिन भर मेहनत करती !
अमलतास के पेड़ पर अपना खूबसूरत
बया रानी दिन भर मेहनत करती !
अमलतास के पेड़ पर अपना खूबसूरत
घरौंदा बनाने के लिये अनगिनत घास पत्ते
और तिनकों में से चुन-चुन कर सबसे
बेहतरीन तिनके वह बटोर कर लाती !
और तिनकों में से चुन-चुन कर सबसे
बेहतरीन तिनके वह बटोर कर लाती !
कितने दिन और यहाँ घूमोगे, गाओगे
भटके हो बार-बार कब तक झुठलाओगे ?
एक न एक.. दिन घर तो आओगे !
अगली प्रस्तुति तक इजाज़त दें फिर मिलेंगे 🙏🙏
"मीना भारद्वाज"
शुभ प्रभात...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति..
आभार इस लाजवाब प्रस्तुति हेओ
सादर...
बेहद सराहनीय सूत्रों से सजा आज का अंक मीना दी बहुत अच्छा लगा..सभी रचनाएँ बेहद सार्थक और सराहनीय है।
ReplyDeleteसुन्दर सूत्र संयोजन।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार लिंकों का चयन सभी रचनाकारों को बधाई
ReplyDeleteबेहतरीन रचनाओं के लिंक्स । आपने काफ़ी मेहनत से इन्हें संकलित किया है ।बहुत -बहुत आभार । मुझे भी आपने सहृदयता पूर्वक स्थान दिया । इसके लिए भी धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत सूत्रों का चयन आज की साप्ताहिकी में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवम आभार मीना जी ! सस्नेह वन्दे !
ReplyDeleteवाह बेहद शानदार प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर संयोजन।
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