Sunday, April 18, 2021

695...एक ख़ुराफाती प्रश्न

 सांध्य मुखरित के रविवारीय अंक में
स्नेहिल अभिवादन।

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मैं जंगल भ्रमण के लिए
उत्सुक रहती हूँ
किंतु जालीदार गाड़ियों से
जानवरों को कौतूहल से देखकर,
पक्षियों की विचित्र किलकारी,
दैत्याकार वृक्षों की 
बनावट से अचंभित
जंगल की रहस्यमयी गंध
स्मृतियों में
भरकर ले तो आती हूँ
और सोचती हूँ
जंगल के कोने में 
उगी घास की भाँति
दुनिया की भीड़ में
तिनके सा जीना
 क्या यही है जन्म का 
उद्देश्य ?

-श्वेता सिन्हा
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आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

प्रश्न


वह सरल, विरल, काली रेखा

चींटी है प्राणी सामाजिक,

वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक।"

कविता याद करते समय

 एक खुराफाती प्रश्न

मन में अक्सर  उभरता था

मगर…,


पता ही नहीं चला


इसी उधेड़ बुन के चलने में, कुछ उलझने सुलझाने में 
कब बच्चे से बड़े हो गए 
पता ही नहीं चला...
कुछ दोस्त पुराने, नए जमाने संग ताल बैठाने 
कभी ताल मिलाने कब अटके, कब निकल गए



लेती ज्यूँ आकार प्रिये

मन तुरंग सा दौड़ रहा है
जग के कोने-कोने में
देख दशा अति अकुलाता है
कविता लगता बोने में
चाक चले जब गीली मिट्टी
लेती ज्यूँ आकार प्रिये
स्वर्ण तपे कुंदन बन दमके
रमणी ज्यूँ श्रृंगार किये।



जो करते बातें तलवार बनाने की
उनके पुरखे म्यान बनाकर बैठे हैं

आर्य, द्रविड़, मुस्लिम, ईसाई हैं जिसमें
उसको हिन्दुस्तान बनाकर बैठे हैं


मेघदूत’ खंड-काव्य दो भागों में बंटा है – १. पूर्वमेघ, २. उत्तरमेघ । वर्मा ने पूर्वमेघ पर उन्नीस चित्र बनाए हैं जो कि रामगिरी से अलकापुरी के पथ का वर्णन करते हैं । उत्तरमेघ पर उन्होंने पंदरह चित्र बनाए हैं जो कि यक्ष की विरह-विदग्धा प्रेयसी श्यामा की अवस्था तथा यक्ष द्वारा उसे भेजे जा रहे प्रेम-संदेश का वर्णन करते हैं । वर्मा के कतिपय चित्र स्त्री के सौंदर्य तथा स्त्री-पुरुष के प्रेम को तो दर्शाते हैं किन्तु उनमें अश्लीलता लेशमात्र भी नहीं है । सौंदर्य-बोध एवं अश्लीलता के मध्य की क्षीण सीमा-रेखा को वर्मा की तूलिका भली-भांति पहचानती है । वर्मा की चितपरिचित पारंपरिक राजस्थानी शैली में बनाए गए इन चित्रों में रंग संयोजन भी उत्कृष्ट एवं सुरुचिपूर्ण है । इन चित्रों में रचा-बसा सौंदर्य कला-प्रेमी के नेत्रों को भी ठण्डक पहुंचाता है एवं उसके हृदय को भी ।

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आज के लिए इतना ही
कल परिस्थितिनुरूप।



5 comments:

  1. आपकी आरंभिक पंक्तियां भी सराहनीय हैं और रचनाओं का चयन भी। मेरे आलेख को स्थान देने हेतु हृदय से आपका आभार श्वेता जी।

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  2. सराहनीय चयन। स्थान देने हेतु हृदय से आपका आभार श्वेता जी।

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  3. बहुत सुन्दर संकलन श्वेता जी! मेरे सृजन को मान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार ।

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  4. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार सखी श्वेता 🙏🌹 सादर

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  5. सुंदर, बेहतरीन रचनाओं का संकलन । सादर शुभकामनाएं श्वेता जी ।

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