यशोदा दी अस्वस्थ हैं,
करीब 2017 से जानते हैं उन्हें हम
आज पहली बार हुआ है कि
उन्होंंने कोई मैसेज न किया कि "आज की मुखरित मौन
आप बना लीजियेगा"।
अपने काम के प्रति अत्यंत सजग हैं,
बिना किसी बहाने के वो निरंतर अपना काम करती रहती हैं इसलिए
मैं चिंतित थी उन्होंने मैसेज का जवाब भी न दिया तो
दिग्विजय सर को फोन लगाई
सर की बुझी और परेशान आवाज़ सुनकर
मन उदास हो गया है।
करीब 2017 से जानते हैं उन्हें हम
आज पहली बार हुआ है कि
उन्होंंने कोई मैसेज न किया कि "आज की मुखरित मौन
आप बना लीजियेगा"।
अपने काम के प्रति अत्यंत सजग हैं,
बिना किसी बहाने के वो निरंतर अपना काम करती रहती हैं इसलिए
मैं चिंतित थी उन्होंने मैसेज का जवाब भी न दिया तो
दिग्विजय सर को फोन लगाई
सर की बुझी और परेशान आवाज़ सुनकर
मन उदास हो गया है।
आइये हमसब मिलकर
प्रार्थना करें कि वो जल्दी स्वस्थ हो जायें।
प्रार्थना करें कि वो जल्दी स्वस्थ हो जायें।
और कुछ न सूझ रहा फिलहाल।
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सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः
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(१)
प्रार्थना में शक्ति है ऐसी कि वह निष्फल नहीं जाती।
जो अगोचर कर चलाते हैं जगत को,
उन करों को प्रार्थना नीरव चलाती है।
(२)
प्रार्थना से जो उठा है पूत होकर
प्रार्थना का फल उसे तो मिल गया।
(३)
अर्थ नीचे ही यदि रह गया,
शब्द क्या उड़ते जाते हैं?
अर्थ के बिना शब्द हे मित्र!
स्वर्ग तक पहुँच न पाते हैं।
बह
"अनुभूति" के लिए
"शब्द" गर बने होते
सुगंध फूलों से नहीं
काँटों से जने होते
समाज में
उम्र की
हरेक सीढ़ी
का
कद
निर्धारित है।
पीपल के विशाल तने के
पीछे सूरज के मुँह छुपाते ही
अक्सर क्षितिज के
पश्चिम में
साँझ का पहला तारा जो
थोड़ी
तुम्हारा एहसास
और भी गहरा हो जाता है।
-रामधारी सिंह दिनकर
यह तो बहुत बुरा समाचार है । पढ़ते ही मन चिंतित हो गया। बहुत सारी प्रार्थनाएँ हमारी आदरणीया यशोदा मैम के लिए। हम लोग सपरिवार प्रार्थना करेंगे। माँ जानकी उन्हें बहुत जल्दी स्वस्थ कर देंगी। खूब सारी प्रार्थनाओं के साथ "get well soon".
ReplyDelete😞😍🙏❤️💐
बच्चों के निश्छल मन की प्रार्थना माँ जल्दी सुनती हैं। तुम्हारी प्रार्थना भी जल्दी ही असर करेगी उम्मीद है।
Deleteसस्नेह।
हम लोगों की प्रार्थना ईश्वर अवश्य सुनेगा । वो शीघ्र ही स्वस्थ
ReplyDeleteहो जाएँगी । सब अपना ध्यान रखें ।समय बहुत कठिन चल रहा है । लापरवाही बिल्कुल न करें । सबसे निवेदन ही कर सकती हूँ ।
प्रिय यशोदा के लिए दिल से दुआ की जल्द से जल्द स्वस्थ हों ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सही संदेश है दी।
Deleteआपका हाथ मानसिक संबल है।
साथ और स्नेह बना रहे।
सादर।
आदरणीय यशोदा दीदी के अस्वस्थ होने का समाचार सुन मन दुखी है, ईश्वर और मां दुर्गा से प्रार्थना है कि उन्हें अति शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो और फिर से वो सक्रिय जीवन जिएं, उनके लिए ढेरों शुभकामनाएं ।🙏🙏🌹🌹
ReplyDeleteजी जिज्ञासा जी,
Deleteआपसभी की प्रार्थना फलीभूत हो जल्दी ही।
साथ और स्नेह बना रहे।
आदरणीया यशोदा दी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ ।
ReplyDeleteयह मंच उनके बिना सूना सा है।।।।।
जी सही कहा आपने पुरुषोत्तम जी।
Deleteदी के बिना मंच बहुत सूना लग रहा।
प्रार्थना करिये वो जल्दी स्वस्थ हो जायें।
सादर।
गांधी के 'सत्य का प्रयोग' में प्रार्थना की भूमिका कुछ ऐसे ही आध्यात्मिक तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं। आइए, उनके इस आध्यात्मिक प्रयोग अर्थात प्रार्थना के प्रभाव की कहानी हम आपको उनके सरलतम सिपाही डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के शब्दों में सुनाते हैं: -
ReplyDelete" सारे देश में जहाँ-तहाँ हिंदू-मुस्लिम दंगे हो रहे थे। गांधीजी इन घटनाओं से बहुत चिंतित और परेशान थे। बहुत ऊबकर उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए इक्कीस दिनों का उपवास करने का निश्चय किया। महात्माजी के उपवास की ख़बर छपते ही सारे देश में बड़ी चिंता व्याप्त हो गयी। अभी-अभी वह बड़ी ख़तरनाक बीमारी से उठे थे। सब लोग, विशेषकर डॉक्टर अंसारी - जो उनके स्वास्थ्य से अच्छी तरह परिचित थे - बहुत चिंतित हो गए। उन्होंने इस निश्चय से गांधीजी को डिगाने का बहुत प्रयत्न किया। अपने प्रेम तथा अपनी डॉक्टरी कला, दोनों का प्रयोग किया।पर गांधीजी अपने निश्चय से नहीं डिगे। अंत में वह इतने सफल हुए कि उन्होंने गांधीजी से वचन ले लिया कि उनकी मृत्यु ही अगर इस उपवास का नतीजा होनेवाला हो, तो उस हालत में वह उपवास तोड़ डालेंगे। उपवास आरम्भ हुआ। ख़बर पाते ही मैं दिल्ली पहुँच गया। डॉक्टर अंसारी तो दिन-रात देखभाल करते ही रहे।
उधर गांधीजी के उपवास के दिन बीतते चले जाते थे।डॉक्टर अंसारी दिन में दो बार उनके पेशाब की जाँच करते। एक दिन अद्भुत घटना हुई। मैंने डॉक्टर अंसारी से ही सुनी। एक दिन पेशाब की जाँच करने पर उन्होंने देखा, उसमें असीटोन की मात्रा अधिक निकली! यह अच्छा लक्षण नहीं है।यदि इसकी मात्रा बढ़ जाये तो आदमी बेहोश हो जाता है। उसके बाद उस आदमी को बचाना कठिन हो जाता है। इससे वह चिंतित हुए। उन्होंने महात्माजी से कहा कि अब आप ख़तरे के निकट पहुँचने वाले हैं और हो सकता है कि इक्कीस दिन पूरे होने के पहले ही आपको अपने वादे के अनुसार उपवास तोड़ना पड़े।
असीटोन की मात्रा बढ़ती गयी। डॉक्टर अंसारी ने निश्चय किया कि अब अधिक ठहरना बहुत ख़तरनाक होगा। उन्होंने यह बात महात्माजी से कही। आग्रह भी किया कि अब उपवास तोड़ना चाहिए। वह डरते थे कि कुछ ही घंटों बाद बेहोशी आ सकती है। उन्होंने यह सब कहा और खिलाने पर ज़िद की। महात्माजी ने कहा कि आपने अपनी विद्या से सब कुछ तो देख लिया है और सब हिसाब लगा लिया है; पर रात भर मुझे छोड़ दीजिए। इस पर डॉक्टर साहब राज़ी नहीं होते थे। तब गांधीजी ने कहा क़ि आपने सबका हिसाब तो लगाया है, पर प्रार्थना के असर का हिसाब तो लगाया ही नहीं; आज मुझे छोड़ दीजिए। डॉक्टर साहब मान गए। दूसरे दिन पेशाब की जाँच कर उन्होंने कहा कि असीटोन का अब ख़तरा नहीं है और खिलाने का आग्रह छोड़ दिया। उसके बाद, उपवास की अवधि में, फिर कभी असीटोन का उपद्रव न हुआ। डॉक्टर अंसारी की चिंता जाती रही। उन्होंने हम लोगों से कहा कि इस चमत्कार का कोई कारण हमारी चिकित्सा नहीं बताती - हम नहीं समझ सकते, यह कैसे हुआ!
महात्माजी, उपवास की पूरी अवधि में प्रत्येक दिन, अपने नियमानुसार चरख़ा कातते रहे। उनको किसी तरह चारों ओर तकिया रखकर बिठा दिया जाता। उसी तरह बैठे-बैठे वह चरख़ा चला लेते। अंत में जब उपवास समाप्त करने का समय आया, तब प्रार्थना करके, चर्खा चलाकर और भजन गाकर, उन्होंने नारंगी का रस पीकर उपवास तोड़ा। मौलाना मुहम्मद अली ने इस अवसर पर बूचड़खाने से एक गौ ख़रीदकर महात्माजी को भेंट की।इसमें कितना प्रेम और सद्भाव भरा था।"
तो आज जब एक वैश्विक संकट की स्थिति मँडरा रही हो, तो इसमें प्रार्थना का महत्व और बढ़ जाता है, जन-कल्याण के लिए। चाहें मौन रहे, चाहे घंटा-घड़ियाल-शंख बजाएँ, चाहे मंत्रोच्चार करें, चाहें भजन -कीर्तन गाएँ, चाहे अजान अदा करें, चाहे गुरुबानी को गाएँ, जैसे भी करें - विश्व-कल्याण की आकांक्षा , ईश्वर के आशीष की कामना , इस घड़ी आपकी सेवा में लगे देवदूतों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता के भावों की अभिव्यक्ति, और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह हेतु - अपने एकान्त में आप भी प्रार्थना करो ना!
ईश्वर से प्रार्थना है कि हमारी यशोदा दी को अविलंब स्वस्थ और सानंद कर दें🙏🙏🙏
बहुत आभारी हूँ विश्वमोहन जी।
Deleteऐसे शब्द सकारात्मक ऊर्जा से भरते हैं।
सहयोग बना रहे।
सादर।
जीवटता से भरी यशोदा दीदी के बारे में उनकी बीमारी का समाचार सुनकर बहुत परेशानी और उदासी है | पर प्रार्थनाओं में बहुत शक्ति होती है| |सबकी दुआएं जरुर रंग लायेंगी | पूरा मंच मानों प्रार्थनाओं का एक दिव्यस्थान लग रहा है | भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार प्रिय श्वेता | ब्लॉग जगत में अपना उच्च मकाम हासिल करने वाली यशोदा दीदी हम सब रचनाकारों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं | उनका ऊँचा मनोबल उन्हें अतिशीघ्र हमारे सामने एक सुंदर औचक प्रस्तुति के माध्यम से ले आयेगा ऐसी मेरी आशा नहीं विश्वास है || प्रार्थनाओं की शक्ति यहाँ भी अपना प्रभाव दिखायेगी | धर्मवीर भारती के शब्दों में प्रार्थना --
ReplyDeleteप्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी
बाँध देती है , तुम्हारा मन , हमारा मन ,
फिर किसी अनजान आशीर्वाद में डूब
इलती मुझे राहत बड़ी
प्रार्थनाओं के ये समवेत स्वर शीघ्रातिशीघ्र फलीभूत हों | इन्हीं दुआओं के साथ - रेणु
आपके शब्द मन को सात्वंना दे रहे।
Deleteप्रिय दी साथ और स्नेह बना रहे।
सादर।
आदरणीया यशोदा जी शीघ्र स्वस्थ हों, यही प्रार्थना है।
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