Wednesday, October 9, 2019

139..पूरे साल का खाता बही फिर से याद आ रहा है

सादर अभिवादन
दशहरे के बाद वाला दिन
आज भाई रवीन्द्र जी को आना था
काम-धन्धे की तरफ निकल पड़े शायद..
चलिए कोई बात नहीं...
हम तो हैं..

चलिए चलें...

मैं रावण हूँ लेकिन
तुमने मुझे रक्तबीज बना दिया है
हर वर्ष जलाते हो मुझे
और मैं हर वर्ष फिर नया जन्म लेता हूँ
फिर से मारे जाने के लिए !


खैर,  खुरमा स्वादिष्ट था , परंतु अभी एक-दो  टुकड़े खाया ही था कि मन बोझिल-सा होता चला गया । वह सीधे बनारस की उस गली में जा घुसा था , जहाँ से कोई तीन दशक पूर्व एक युवक रोजी-रोटी की तलाश में भटकते हुये मुजफ्फरपुर,कालिम्पोंग और फिर मीरजापुर आ बसा है। वहाँ उसका अपना घर था, अपना स्वप्न था, अपने लोग थें और पर्व- त्योहार भी..।


बुद्धि के दो रूप होते
कुबुद्धि और सुबुद्धि
जब भी पहली जाग्रत होती
समाज में विघटन होता


बाढ़ में बादल (Baadh Mein Badal) - Prakash sah - UNPREDICTABLE ANGRY BOY www.prkshsah2011.blogspot.in
बदइंतजामी से बेहाल है बादल
कहीं है जंगल फांका-फांका,

कहीं भूखंड है पड़ा विरान।
असमंजस में बादल, कहीं फूट पड़ा


कभी कभी तो देख किसी को 
हृदय पुष्प खिल उठता, 
अनजाना अपना बनता 
फिर जान से प्यारा लगता॥



पढ़े लिखे
बुद्धिजीवी से
उम्मीद मत रखिये
उसका दिमाग भी
एक बड़ा सा
पेट होता है

कुछ
बुद्धिजीवी
चने हो
आपके पास
तो बाँटिये ।
अब बस
शायद कल फिर आएँगे
सादर

10 comments:

  1. शुभ संध्या..
    सटीक प्रस्तुति..
    सादर..

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  2. आपको भी कूड़ा-ए-उलूकिस्तान से प्रेम है उठा ही लाती हैं :)

    आभार।

    सुन्दर प्रस्तुति।

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  3. बेहतरीन प्रस्तुति, सुंदर लिंक संयोजन के साथ बहुत शानदार रचनाएं।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

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  4. सार्थक एवं सुन्दर रचनाओं की प्रस्तुति।

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  5. आज सायं प्रस्तुति में मेरी खुशियों से भरी संस्मरण को शामिल देख हर्षित और एवं हैरान भी हुआ। आपकी पारखी नजरों ने मेरी रचना को स्थान दिया, इसके लिये हृदय से आभार यशोदा दी।
    सभी रचनाकारों को प्रणाम।
    आज वाराणसी में नाटी इमली का प्रसिद्ध भरत मिलाप संपन्न हुआ। लाखों लोगों में चारों भाइयों का मिलन देखा। यह प्राचीन परंपरा आज भी कायम है और पूरी भव्यता के साथ जो काफी सुखद है।

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  6. वाह ! बहुत सुन्दर सूत्रों का संयोजन आज के मुखरित मौन में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

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  7. उम्दा प्रस्तुति |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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  8. मेरे व्यंग्य को आज के अंक में स्थान देने के लिए आभार

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