Wednesday, October 2, 2019

132..बंदों में था दम

सांझ का स्नेहिल अभिववादन
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 आज राष्ट्रपिता की
150वीं जयंती है।
कोई व्यक्ति महान पैदा नहीं होता है
उसके विचार और कर्म की शुद्धता
ही उसे आम लोगों से अलग देखने पर मजबूर करती है।
करोड़ों भारतवासियों के जीवन में बदलाव
लाने का आजीवन प्रयास करने वाले
बापू को सादर प्रणाम।
उनके द्वारा बतलाया गया
सत्य और अहिंसा का मार्ग समाज में शांति और सद्भावना का संदेश है ऐसा विश्व भी मानता है



हमारे पूर्व प्रधानमंत्री 
शास्त्री जी की 115वीं जयंती
का उत्सव देश मना रहा।
सरलता,सादगी,विनम्रता,कर्मठता और जनकल्याणकारी भावना उनके उत्कृष्ट व्यक्तित्व को विशेष बनाता है।
हमारे राष्ट्र नायक को सादर प्रणाम।
★★★


आइये अब चलते है चिट्ठाकारों की दुनिया में-
आज सुशील सर का 
जन्मदिन है।
सर की लिखी रचनाओं में छुपा गूढ़ और सार्थक संदेश समाज और देश के प्रति एक मौलिक विचारक की जिम्मेदारी और जवाबदेही की तरह है।
हार्दिक शुभकामनाएँ सर।

आज की रचनाएँ -


पढ़ते है उलूक के पन्ने से ताज़ा रचना
गाँधीवादी

चाचा 
होते होते

नहीं 
हो पाने 
के बाद 

जब 
हो रही है 

बापू 
हो जाने 

की
तीव्र 
इच्छा 

छाती 


फुला रहा है 

★★★★★★

दो अक्टूबर विशेष


आज़ादी के लिए लड़े वे देश का नव निर्माण किया ,
सर्व सम्मति से ही संभाली कुर्सी प्रधानमंत्री की .

...................................................................

मिटे गुलामी देश की अपने बढ़ें सभी मिलकर आगे ,
स्व-प्रयत्नों से दी है बढ़कर साँस हमें आज़ादी की .


★★★★★★★


गाँधी मेरी नज़र में

कहते हैं, वो चाहते तो भगतसिंह की फांसी रूकवा सकते थे ऐसा कहने वालो की बुद्धि पर मुझे हंसी आती है, जैसे कानून उनकी बपोती था? वो भी अंग्रेजी सत्ता में, और वो अपनी धाक से रूकवा देते, ऐसा संभव है तो हम आप करोड़ों देशवासी मिल कर निर्भया कांण्ड में एक जघन्य आरोपी को सजा तक नही दिला सके कानून हमारा देश हमारा और हम लाचार  हैं याने हम जो न कर पायें वो लाचारी और उन से जो न हो पाया वो अपराध अगर दो टुकड़े की शर्त पर भी आजादी मिली तो समझो सही छुटे वर्ना न जाने और कब तक अंग्रेजों के चुगल में रहते ।

★★★★★★

तीन बंदर


गांधी होते ,
देख द्रवित होते
अपने देश का हाल
सीख उनकी ,
ढाल  ली
सबने स्वयं अनुसार ।


★★★★★


रंग है लाल बहादुर के

१९६५ में जम्मू-कशमीर के विवादित प्रांत पर पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई का इन्होंने हिम्मत और दृढता से सामना किया।१०जनवरी १९६६ को लाल बहदुर शास्त्री जी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयुब खान के साथ रूस के ताशकंद में एक समझौता किया कि भारत और पाकिस्तान अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे और आपसी झगड़ो का निपटारा शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे। सादगी और देशभक्ति उनमें कूट-कूटकर भरी थी । ११ जनवरी १९६६ को देश के इस वीर सपूत का देहावसान ताशकंद में ही हो गया।१९६६ में ही इन्हें मरणोंपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

★★★★★★★
चलते-चलते सुनिये बापू का प्रिय भजन

★★★★★

आज की यह अंक आपसभी को कैसा लगा?
आप सभी की प्रतिक्रिया उत्साह और मनोबल में
वृद्धि करते है।



8 comments:

  1. दमदार गांधी-शास्त्री अंक..
    भजन सुन मन गदगद हो गया
    साधुवाद..

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  2. आ. सुशील जी सर को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति

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  3. मेरे प्रिय भजन के साथ प्रस्तुत सुन्दर साँध्य दैनिक मुखरित मौन के आज के सुन्दर अंक में दी गयी जन्मदिन शुभकामनाओं और स्नेह के लिये दिल से आभार श्वेता जी।

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    1. सादर नमन..
      जन्मदिवस पर अशेष शुभकामनाएँ..
      सादर...

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  4. सुन्दर संकलन, मेरी रचना को स्थान् देने हेतु हार्दिक धन्यवाद.

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  5. वाह बहुत सुंदर अंक,सुंदर प्रस्तुति आदरणीया दीदी जी
    आदरणीय जोशी सर को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
    सादर नमन

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  6. सुंदर प्रस्तुति, सभी संकलित रचनाएं बहुत सुंदर।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरे लेख को सांध्य दैनिक में शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर।

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  7. उत्कृष्ट और संग्रहणीय प्रस्तुति !!

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