Sunday, October 6, 2019

136...फितरफ छिपाये अपनी लड़ाके सिपाही एक रणछोड़ की झूठी दास्तान सुन रहे हैं

सादर अभिवादन
आज की ताजा खबर
आज से हमारी चर्चाकारा
श्रीमति मीना भारद्वाज
इस ब्लॉग में नहीं दिखेंगी
बहरहाल ब्लॉग तो चलेगा ही
रुकने वाला नहीं...
आज हमारे ब्लॉग में पहली बार आ रहे हैं
अश्वनी कुमार जी.
आगे पढ़िए....

वेसे तो मुझे प्यार की कमी नहीं है ,
लेकिन एक तेरा प्यार पाने की सब्र भी नहीं है......

मेरी कोशिश पूरी है लेकिन इतनी हिम्मत नहीं है,
सबकुछ है मेरे पास लेकिन तु नहीं है...


नहीं किया है कैद
ना ही उसे बंधक बनाया है
ना ही कोई बैरी उसका
है इच्छा शक्ति प्रवल उसकी |
वह तो है ही चंचल चपला सी
तांक झांक करती रहती
पहुँच मार्ग खोजती फिरती
खिड़की खुली देख मुस्कुराई है |


नाम से भी मेरे नफ़रत है उसे
मुझसे इस दर्जा मुहब्बत है उसे

मुझको जीने भी नहीं देता वो
मेरे मरने की भी हसरत है उसे


हलचल-सी मची सीने में 
रिश्तों की महक संग ले आई
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें
याद आईं कुछ बीती बातें

बेफिक्र होकर
जिंदगी
के
साथ साथ
बुन रहे हैं 

आरामदायक
भी
बनें
सोच कर
सफेद
रूई को
एक

लगातार
धुन रहे हैं

आज बस इतना ही
कल फिर मिलते हैं
सादर



7 comments:

  1. लाजवाब प्रस्तुति..
    सादर...

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  2. आभार यशोदा जी। सुन्दर प्रस्तुति। आवत जावत बनी रहनी चाहिये रुकना ठीक नहीं।

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति,सभी रचनाएं बहुत मनभावन रचनाकारों को बधाई।
    अश्र्विनी जी का स्वागत नये ब्लागर के रूप में ।

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  4. ब्लॉग जगत से मेरा परिचय करवाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार यशोदा जी 🙏...


    आज की सारी रचनाएं बहुत खूबसूरत सभी को शुभकामनाएं ..

    आशा जी की रचना "चांदनी खिड़की से आई है " बहुत उम्दा है 👍🙏

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  5. बेहतरीन प्रस्तुति।मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी।

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  6. सुन्दर लिंक्स
    मेरी रचना को चुनने के लिए धन्यवाद |

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  7. मीना दी जैसी श्रेष्ठ चर्चाकार का आहत होना स्वाभाविक है। रविंद्र जी को छोड़ उनके समर्थन में कोई चर्चाकार आगे नहीं आया,यह भी दुखद है।

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