Saturday, September 29, 2018

08....मशीनी जीवन की विवशता समझे, सामंजस्य बैठाएं

सादर अभिवादन....
पहली अक्टूबर को अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धदिवस पर विशेष प्रस्तुति

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बुढ़ापा, जिंदगी का एक ऐसा अंतिम पड़ाव हैं, जिसमें मनुष्य को सिर्फ़ प्यार चाहिए होता हैं। बुजुर्गों को 
केवल अपने बच्चों का साथ चाहिए होता हैं लेकिन ज्यादातर बुजुर्गों को वो भी नसीब नहीं होता। बुजुर्गों 
के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस निश्चिंत किया गया हैं। 
लेकिन वास्तव में वर्तमान में बुजुर्गों को जितना सम्मान मिलना चाहिए, उतना मिलता नहीं हैं। आखिर 
क्या हैं इसकी वजह? आज पत्र-पत्रिकाओं में नई पीढी द्वारा बुजुर्गों पर हो रहे अत्याचारों के किस्से 
प्रकाशित हो रहे हैं। किंतु यह सिक्के का एक ही पहलू हैं। यदि बुजुर्ग आज की भागदौड वाली और 
मशीनी जीवन की विवशता समझे, सामंजस्य बैठाएं 

आता जो याद बार-बार वो... देव आनंद
"26 सितंबर 1923 को देव आनंद पैदा हुए थे। उन्हें हमसे बिछड़े लगभग सात साल हो गए हैं, लेकिन 
हिंदी सिनेमा के इस विलक्षण व्यक्तित्व को आज भी लोग दिल से याद करते हैं। बार-बार उनकी 
फिल्में देखते हैं और कई बार उनकी नकल भी करते हैं। उनकी याद में खास- 
वे थकना नहीं जानते थे। एक फिल्म फ्लॉप हुई तो भुलाकर उसी उत्साह से दूसरी फिल्म की शूटिंग में व्यस्त 
हो जाते। जीना इसी का नाम है। उनका जीवन रोमांस में बीता। रोमांस अपनी जिंदगी से। इसीलिए उन्होंने अपनी आत्मकथा का नाम 'रोमांसिंग विद लाइफ' रखा। यह भी संयोग है कि अट्ठासी अध्याय में अपनी 
जीवन लिखने वाला अट्ठासी वर्ष की उम्र में ही चला गया।


अजीब एक 'गंध' आती है, 
एक दम अलग,
तुम औरतों से ... 
हरे धनिये की ...
या
कच्ची तुरई के पीले फूल की
या
रोप रही मिटटी की ...


क्या आपने कभी पढ़ा या सुना है कि कोई व्यक्ति, मृत्युपरांत  सरकारी कार्य हेतु किसी पद पर कार्यरत 
हो एवं उसकी पदोन्नति भी होती हो? जी हाँ! मैं ऐसी ही एक अविश्वस्नीय परन्तु वास्तविक घटना 
से आपको रुबरु कराता हूँ।  अक्सर ऐसा होता है कि हमलोगों को अपने आस-पास की घटनाओं, स्थलों या व्यक्तियों के बारे में किसी दूर अनजान जगह के लोगों से पता चलता है। 

 ऐसे ही एक व्यक्ति थे बाबा हरभजन सिंह और उनकी समाधि पूर्वी सिक्किम में है।  जब मैं वहाँ गया तो 
पता चला कि  बाबा हरभजन सिंह पंजाब में कपूरथला जिला के कूका गाँव के रहने वाले थे जो की 
मेरी कर्मस्थली से 30 कि.मी. की  दूरी  पर स्थित है।  जब मैं उनके समाधि स्थल पर श्रद्धा -सुमन 
अर्पण कर बाहर निकला तो उनके बारे में जानने की  उत्सुकता बढ़ी और जो जानकारी मुझे 
मिली उसे मैं आपलोगों से सांझा करने जा रहा हूँ। 

आज बस इतना ही...
यशोदा





5 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति श्रेष्ठ रचनाओं का सुंदर संकलन ज्योति जी का लेख सार्थक है सुंदर प्रस्तुति के लिए
    आपका आभार 🙏

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  2. बहुत बहुत सुंदर रचनाये आदरणिया जी बाबा हरभजन सिहँ जी के बारे मे विस्तार से लेख जरूर डालियेगा आपकी बड़ी कृपा होगी ।।

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    1. इस चर्चा में सभी पोस्टों का लिंक पहले से लगा रहता है उसे क्लिक कर उसे पूरा पढ़ सकते हैं. आपकी सुविधा के लिए मैं फिर से लिंक दे रहा हूँ . निचे दिए गए लिंक को क्लिक कर लेख को विस्तार में पढ़ सकते हैं .
      https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2013/08/blog-post.html

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  3. सभी रचनाएं बढिया हैं। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, यशोदा जी।

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